सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 6 अक्टूबर को बिहार सरकार की ओर से कराई गई जातिगत गणना से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हम किसी राज्य सरकार को नीति बनाने या काम करने से नहीं रोक सकते। सिर्फ उसकी समीक्षा कर सकते हैं, और अब इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर लगाई रोक
बिहार जातीय जनगणना से संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बिहार सरकार की ओर से कराई गई जातीय गणना का डेटा प्रकाशित करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हम किसी भी राज्य सरकार को नीति बनाने या काम करने से नहीं रोक सकते। हम सिर्फ उसकी समीक्षा कर सकते हैं। साथ ही, पटना हाईकोर्ट के 1 अगस्त, 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश-तेजस्वी की सरकार के खिलाफ नोटिस भी जारी किया है।
जातीय गणना के अनुसार किसकी कितनी आबादी
बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को जातीय गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक की थी। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की जनसंख्या 13 करोड़, सात लाख 25 हजार 310 है। कुल जनसंख्या में वर्ग के हिसाब से अगर देखा जाए तो बिहार में पिछड़ा वर्ग 27.12 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी, अनुसूचित जाति 19.65 फीसदी, अनुसूचित जनजाति-1.68 फीसदी और सामान्य वर्ग 15.52 फीसदी की आबादी है।
बिहार में कुल 215 जातियों समेत 6 धर्मों के लोग
बिहार जातिगत गणना की रिपोर्ट के अुनसार, राज्य में कुल 215 जाति और 6 धर्मों को मानने वाले लोगों की गिनती की गई है। जिनमें हिंदुओं की संख्या 10 करोड़ 71 लाख 92 हज़ार 958 (81.99%) है, मुस्लिमों की आबादी 2 करोड़ 31 लाख 49 हज़ार 925 (17.70%)हैं, ईसाईयों की आबादी 75 हज़ार 238 (0.05%) है, सिखों की आबादी 14 हज़ार 753 (0.011%) है, बौद्ध धर्म की आबादी 1 लाख 11 हज़ार 201 (0.0851%) है, तो वहीं जैन धर्म को मानने वालों की आबादी 12 हज़ार 523 (0.0096%) है।
किसमें कितनी आबादी?
- ब्राह्मण- 3.67%
- राजपूत- 3.45%
- भूमिहार- 2.89%
- कायस्थ – 0.60%
- यादव – 14.26 %
- कुशवाहा – 4.27
- कुरमी- 2.87%
- तेली- 2.81%
- मुसहर- 3.08%
- सोनार-0.68%
- मल्लाह 2.60%
- बढ़ई- 1.4%
- कुम्हार- 1.4%
- पासी- 0.9%
- धोबी- 0.8%
- मोची, चमार, रविदास- 5.2%
यादवों के बाद दुसाधों की संख्या
बिहार में जातीय जनगणना का आंकड़ा काफी हद तक अनुमान के अनुसार ही आया है। अगड़ी जातियों के लिए यह आंकड़े चौंकाने वाले है, लेकिन राजनीतिक रूप से देखा जाए तो पिछड़े और अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों के लिए यह आंकड़ा सुकून भरा है। सामान्य वर्ग के लोगों की जितनी संख्या है उतनी ही लगभग पूर्व मुख्यामंत्री लालू प्रसाद यादव की जाति के लोगों की भी संख्या है। बिहार में सबसे ज्यादा यादवों की संख्या 14.26% हैं। जातीय जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार दिवंगत नेता रामविलास पासवान की जाति भी यहां मायने रखती है। यादवों के बाद दुसाधों की जाति की संख्या 5.31% ज्यादा आई है।