DhiruBhai Ambani: धीरूभाई अंबानी, रतन टाटा समेत भारत के अन्य व्यापारिक सितारों की सफलता की कहानी

भारत के सफल उद्योगपतियों की सफल कहानी
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भारत के कई सफल उद्योगपतियों ने बड़े व्यापार साम्राज्य खड़े किए हैं। इनमें से कई ने अपने करियर की शुरुआत छोटी नौकरी से की थी। इस लेख में हम आपको भारत के कुछ प्रमुख उद्योगपतियों की शुरुआती संघर्ष और सफलता की कहानियों से परिचित कराएंगे। उन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से सफलता हासिल की।

रतन टाटा: टाटा समूह

रतन टाटा भारत के सबसे सम्मानित उद्योगपतियों में से एक हैं। उनके व्यावसायिक कौशल और परोपकार के कार्यों की चर्चा पूरे विश्व में होती है। रतन टाटा को आईबीएम से एक उच्च वेतन वाली नौकरी का प्रस्ताव मिला था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। उन्होंने 1961 में टाटा स्टील में शॉप फ्लोर पर काम करना शुरू किया। इसके बाद वे टाटा मोटर्स में एक प्रशिक्षु के रूप में शामिल हुए और धीरे-धीरे कंपनी के शीर्ष पद तक पहुंचे।

गौतम अडानी: अडानी समूह के अध्यक्ष

गौतम अडानी एक प्रथम पीढ़ी के उद्यमी हैं, जिन्होंने 1978 में अपने करियर की शुरुआत की। वे कम उम्र में मुंबई आए और महेंद्र ब्रदर्स के लिए हीरे की छंटाई का काम किया। बाद में उन्होंने जवेरी बाजार में अपनी खुद की हीरे की व्यापार कंपनी शुरू की। आज अडानी समूह भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूहों में से एक है।

सुधा मूर्ति: इन्फोसिस फाउंडेशन की प्रेरणास्त्रोत

सुधा मूर्ति, इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद, महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महिलाओं के लिए नए रास्ते खोले। सुधा मूर्ति ने टाटा मोटर्स (तब टेल्को) में महिलाओं के प्रति हो रहे भेदभाव पर सवाल उठाए और बाद में वे कंपनी की पहली महिला इंजीनियर बनीं। उन्होंने पुणे में एक विकास इंजीनियर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और बाद में मुंबई और जमशेदपुर में काम किया।

धीरूभाई अंबानी: रिलायंस ग्रुप के संस्थापक

धीरूभाई अंबानी, जो मुकेश अंबानी के पिता थे, भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी ताकि परिवार की मदद कर सकें। धीरूभाई की पहली नौकरी एडन में एक गैस स्टेशन पर थी, जहाँ उन्हें मात्र ₹300 वेतन मिलता था। आज रिलायंस समूह भारत के सबसे बड़े कॉर्पोरेट घरानों में से एक है।

इंद्रा नूयी: पेप्सिको की पूर्व सीईओ

इंद्रा नूयी पेप्सिको की अध्यक्ष और सीईओ बनने वाली पहली भारतीय महिला हैं। हालांकि, उनका करियर एक ब्रिटिश टेक्सटाइल कंपनी में एक बिजनेस स्ट्रेटजिस्ट के रूप में शुरू हुआ था। बाद में उन्होंने मुंबई में जॉनसन एंड जॉनसन में प्रोडक्ट मैनेजर के रूप में काम किया। इंद्रा नूयी की यह यात्रा आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है।

इन सफल व्यक्तियों की कहानियाँ यह दर्शाती हैं कि समर्पण, मेहनत और संघर्ष से हर चुनौती को पार किया जा सकता है। इनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सफलता एक सफर है, जिसमें कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प जरूरी है।