उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को राष्ट्रीय सिंधी अधिवेशन के समापन सत्र शामिल हुए और कहा, जब 500 वर्ष बाद श्रीरामजन्म भूमि वापस मिल सकती है तो सिंध प्रांत (पाकिस्तान) भी वापस ले सकते हैं। वर्तमान पीढ़ी को इस बारे में बताने की जरूरत है कि उन्होंने क्या खोया है और किन कारणों से खोया है। युवाओं की संकल्प शक्ति से सफलता पाई जा सकती है।
सनातन धर्म का अभिन्न अंग है सिंधी समाज
इतना सुनते ही देश के 17 राज्यों और विदेश से आए सिंधी समाज के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर देर तक योगीजी का अभिवादन किया और साथ ही जय श्रीराम का उद्घोष भी किया। मुख्यमंत्री ने सिंधी समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका को सराहा और कहा कि यह समाज सनातन धर्म का अभिन्न हिस्सा है। पुरुषार्थ और परिश्रम के माध्यम से देश के विकास में सिंधी समाज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अपनी संस्कृति को सजीव रखने और सनातन मूल्यों को प्रोत्साहित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान किया है। सिंधी समुदाय के लोगों ने विभाजन के दर्द के बावजूद भगवान झूलेलाल के अनुयायी के रूप में मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। आखिर हेमू कालाणी का बलिदान कौन भूल सकता है। सनातन मूल्यों को आगे बढ़ाने व संस्कारों की सीख देने के लिए खूब काम किया गया है।
बंटवारे को रोका जा सकता था
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अखंड भारत के हिस्से का बिना चाहे दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन हुआ है, और इसका सबसे बड़ा प्रभाव सिंधी समाज पर पड़ा। यह विभाजन आसानी से रोका जा सकता था, लेकिन एक व्यक्ति की जिद ने इसे बढ़ावा दिया। आगे उन्होंने कहा कि एक बड़ा हिस्सा समाज के बीच विभाजित हो गया है और इसके परिणामस्वरूप देश ने बहुत लंबे समय तक आतंकवाद के रूप में संघर्ष किया है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत में आतंकवाद अब अपनी आखरी सांसे गिन रहा है। आगे उन्होंने कहा है कि कोई भी सभ्य समाज आतंकवाद को सही नहीं मान सकता है। इसका समर्थन धर्मग्रंथों और भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों से भी जुड़ता है, जो कहते हैं कि सज्जनों का संरक्षण करना और दुर्जनों का सफाया होना चाहिए। भारत के नागरिकों के लिए और मानव समाज के कल्याण के लिए इस दिशा में प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
सभी को अपनी जमीन प्यारी होती है
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी के लिए जमीन अत्यंत मूल्यवान होती है और ये समाज अपने धर्म, परंपरा और संस्कृति को संरक्षित रख रहे हैं, ताकि देश में एकता बनी रहे और 1947 जैसी त्रासदी फिर से न हों। आगे उन्होंने कहा कि देश है तो धर्म है, धर्म है तो समाज है और समाज है तो हम सभी का अस्तित्व है। सभी राष्ट्र प्रथम होने का संकल्प लें। सभी को जोड़ने के लिए कई कार्यक्रम चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजधानी से अयोध्या की दूरी बहुत कम है और जनवरी में वे रामलला मंदिर में विराजमान होंगे। काशी में बाबा विश्वनाथ परिसर का अद्वितीय कायाकल्प हुआ है, वहां विंध्यवासिनी धाम और तीर्थराज प्रयागराज होते हुए भ्रमण कर सकते हैं। मुख्यमंत्री को सिंधी समाज ने भगवान झूलेलाल की मूर्ति, गौ प्रतिमा और अन्य प्रतीक चिह्न व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। महासचिव वीरेंद्र खत्री ने कहा कि अधिवेशन में युवाओं को संस्कारों की सीख दी गई है। यूपी चैप्टर के अध्यक्ष विवेक लदानी ने कहा कि समाज को जोड़ने के साथ आगे बढ़ते जाना है। विनोद पंजाबी ने कहा कि राजनीति के क्षेत्र में इस समाज की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। इस अधिवेशन का संचालन आत्मप्रकाश मिश्र ने किया और मंजूश्री आशुदानी ने सुंदर सा भजन गाया।
मुख्यमंत्री ने 6 विभूतियां को किया सम्मानित
मुख्यमंत्री ने सिंधी समाज की 6 विभूतियो को सम्मानित किया। जिसमें पंकज अडवानी को शेरे सिंध की उपाधि से सम्मानित किया गया। साथ ही, इंदौर के सांसद शंकर लालवानी, लदानी ग्रुप के अध्यक्ष एसएन लधानी, सामाजिक कार्य करने वाले रामझाबरानी, टेक महेंद्रा के राजेश वंदीरामानी व बेंगलुरु की सोनाक्षी लदानी को भी सम्मानित किया।