यूपी न्यूज़, उत्तर प्रदेश में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व रखने वाले महाकुंभ के आयोजन को लेकर इस बार कई सवाल खड़े हो गए हैं। श्रद्धालुओं के लिए इसे एक आध्यात्मिक अनुभव बनाने की बजाय, अव्यवस्थाओं और यातायात जाम ने इसे एक बड़ी चुनौती में बदल दिया। भारी भीड़, अनियंत्रित यातायात और अस्थायी व्यवस्थाओं की कमी के कारण लाखों लोग परेशानी में पड़ गए। धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आए श्रद्धालुओं को असुविधाओं का सामना करना पड़ा, जिससे जनता में नाराजगी देखने को मिली। इस मुद्दे ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी, और सरकार की व्यवस्थाओं को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
लोकसभा में इस विषय पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आयोजन केवल दिखावे का हिस्सा बनकर रह गया, जबकि जमीनी स्तर पर मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी रही। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यदि राज्य सरकार इस तरह के महत्वपूर्ण आयोजनों की व्यवस्था तक संभाल नहीं सकती, तो यह जनता के साथ अन्याय है। पूरे आयोजन के दौरान कई स्थानों पर अफरा-तफरी का माहौल देखा गया, जिससे लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
यूपी सरकार की नीतियों पर अखिलेश का निशाना
लोकसभा में चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने महाकुंभ में अव्यवस्थाओं को लेकर योगी सरकार पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए थे कि इस बार महाकुंभ का आयोजन ऐतिहासिक और सुविधाजनक होगा, लेकिन जमीनी हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं। श्रद्धालु जिन्होंने श्रद्धा और भक्ति के साथ प्रयागराज का रुख किया था, उन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। यातायात की अव्यवस्था, भीड़ नियंत्रण में नाकामी और प्रशासन की सुस्त कार्यशैली ने इस आयोजन की साख पर बट्टा लगा दिया। उन्होंने कहा कि जो आयोजन आध्यात्मिक शांति और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, वह अव्यवस्थाओं और कुप्रबंधन का केंद्र बन चुका है। तस्वीरों में जो नजारे सामने आए हैं, उन्होंने न सिर्फ वहां मौजूद श्रद्धालुओं को परेशान किया, बल्कि पूरे देश में सनातन धर्म को मानने वालों को भी पीड़ा पहुंचाई।
अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि ‘डबल इंजन सरकार‘ का दावा करने वाली भाजपा सरकार वास्तव में ‘डबल ब्लंडर’ कर रही है। महाकुंभ, जो भारत की संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, उसके आयोजन में सरकार पूरी तरह असफल रही। अव्यवस्थाओं के कारण श्रद्धालुओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन प्रशासन ने उनकी परेशानियों की अनदेखी की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जनता की समस्याओं के प्रति उदासीन है और इस आयोजन के दौरान इसकी असलियत उजागर हो गई।
बजट को लेकर भी उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे पूंजीपतियों के हित में तैयार किया गया बजट बताया। उन्होंने कहा कि इसमें गरीबों, किसानों और मध्यम वर्ग के लिए कोई प्रभावी योजना नहीं है। सरकार के विकसित भारत के दावों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यह नीतियां सामान्य नागरिक की जिंदगी में सुधार लाने के बजाय केवल अमीरों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई हैं।
महाकुंभ में ट्रैफिक जाम और भगदड़ पर उठाए सवाल
लोकसभा में चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने प्रयागराज महाकुंभ की अव्यवस्थाओं को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को महाकुंभ में दर्शन और स्नान के लिए आना सौभाग्य की बात होती है, लेकिन प्रशासनिक असफलता के कारण यह अनुभव उनके लिए परेशानी का सबब बन गया। हजारों नहीं, बल्कि लाखों लोग घंटों तक जाम में फंसे रहे और जरूरी सुविधाओं के अभाव में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी भीड़ को संभालने की कोई ठोस रणनीति पहले से क्यों नहीं बनाई गई? प्रशासन को अंदाजा होना चाहिए था कि इस आयोजन में भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे, फिर भी यातायात नियंत्रण में इतनी बड़ी चूक क्यों हुई?
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि देश में तकनीक और विज्ञान का इतना प्रचार किया जाता है, लेकिन जब इसे जमीनी स्तर पर लागू करने की जरूरत थी, तो यह पूरी तरह नाकाम साबित हुआ। भीड़ नियंत्रण के लिए ड्रोन कैमरों और अन्य आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल की बात कही गई थी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही दिखी। उन्होंने मौनी अमावस्या के अवसर पर हुई भगदड़ को लेकर भी सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में घोर लापरवाही बरती गई। सरकार ने न सिर्फ कुप्रबंधन किया, बल्कि घटनाओं की सही जानकारी तक जनता से छुपाने की कोशिश की। अगर पहले से पर्याप्त पुलिस बल, ट्रैफिक नियंत्रण योजना और आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था होती, तो लाखों श्रद्धालुओं को इस कठिन परिस्थिति से नहीं गुजरना पड़ता।
मुआवजे की मांग, सरकार से जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपील
लोकसभा में चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने प्रयागराज महाकुंभ में हुई अव्यवस्थाओं और हादसों पर, उन्होंने मांग की कि सरकार को उन परिवारों को 50-50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देनी चाहिए, जिन्होंने भगदड़ और अन्य दुर्घटनाओं में अपने प्रियजनों को खो दिया। श्रद्धालु जो इस धार्मिक आयोजन में पुण्य कमाने और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने आए थे, उन्हें अव्यवस्थाओं के कारण अपार कष्ट उठाना पड़ा। अखिलेश ने कहा कि सरकार की लापरवाही के चलते अनेक श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हुए और कई की मृत्यु हो गई। ऐसे में पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए सरकार को अविलंब मुआवजा घोषित करना चाहिए।
इसके अलावा, उन्होंने सरकार से यह भी मांग की कि महाकुंभ के दौरान हुए सड़क हादसों में मारे गए लोगों के परिजनों को भी उचित सहायता दी जाए। उन्होंने कहा कि भारी भीड़ और प्रशासन की लचर व्यवस्था के कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ीं, जिससे न जाने कितने निर्दोष लोग अपनी जान गंवा बैठे। सरकार की अव्यवस्थित यातायात नीति और प्रबंधन में कोताही के कारण श्रद्धालु घंटों तक जाम में फंसे रहे, जिससे कई अप्रिय घटनाएं सामने आईं। अखिलेश यादव ने सुझाव दिया कि यदि राज्य सरकार महाकुंभ का आयोजन सही ढंग से नहीं कर पा रही, तो इस जिम्मेदारी को सेना या किसी अनुभवी एजेंसी को सौंप दिया जाना चाहिए, ताकि आगे ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।
प्रयागराज के नागरिकों को हुआ नुकसान
महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन की गरिमा को बनाए रखने में सरकार असफल रही, यह कहते हुए अखिलेश यादव ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जब सरकार फिल्म उद्योग को मनोरंजन कर मुक्त कर सकती है, तो फिर महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वाहनों को टोल टैक्स से छूट क्यों नहीं दी गई? उन्होंने सरकार से यह सवाल किया कि क्या धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा यह महापर्व फिल्मों से कम महत्वपूर्ण था?
इसके अलावा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रयागराज के स्थानीय नागरिकों को इस आयोजन से कोई विशेष लाभ नहीं मिला। इसके विपरीत, महंगाई, ट्रैफिक जाम, और अव्यवस्था के कारण आम लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपनी नाकामी को छुपाने के लिए झूठा प्रचार किया, लेकिन हकीकत यह है कि श्रद्धालुओं को इस यात्रा के दौरान कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार को इस लापरवाही की जवाबदेही लेनी होगी, अन्यथा जनता भविष्य में इसका जवाब देगी।
आपातकालीन सेवाओं की अनुपस्थिति पर सवाल
अखिलेश यादव ने सरकार को घेरते हुए कहा कि इतने बड़े धार्मिक आयोजन के बावजूद आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था पूरी तरह नाकाफी साबित हुई। उन्होंने कहा कि लाखों की संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल होने पहुंचे, लेकिन किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए समुचित चिकित्सा, राहत और बचाव सुविधाएं नहीं थीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रशासन को विशेष आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर, त्वरित चिकित्सा दल, और आपदा प्रबंधन टीमों की तैनाती करनी चाहिए थी, जिससे संकट के समय लोगों को त्वरित सहायता मिल सके।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार को उन लोगों की सूची सार्वजनिक करनी चाहिए जो महाकुंभ के दौरान अपने परिवार से बिछड़ गए, ताकि उनके परिजन उन्हें आसानी से ढूंढ सकें। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि ऐसे किसी भी आयोजन में सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं को प्राथमिकता दी जाए, ताकि श्रद्धालुओं को परेशानी न हो और वे बिना किसी डर के धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हो सकें।
प्रशासन की विफलता और सरकार की उदासीनता
महाकुंभ 2025 में अव्यवस्थाओं की भारी आलोचना करते हुए अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एक ऐसा आयोजन, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, उसके प्रबंधन में सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है। श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ रहा। भीड़ नियंत्रण के लिए समुचित व्यवस्था न होने के कारण कई श्रद्धालु घंटों तक सड़क पर फंसे रहे, फिर भी राज्य के मुख्यमंत्री और उनके प्रशासन ने इस समस्या को नजरअंदाज कर दिया।
यादव ने यह भी कहा कि जब स्थिति खराब होती गई, तब भी राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और मंत्री मूकदर्शक बने रहे। कई महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोग, जो इस आयोजन की निगरानी के लिए जिम्मेदार थे, जनता के बीच न जाकर कार्यालयों में बैठकर केवल निर्देश जारी कर रहे थे। प्रयागराज से जुड़े उपमुख्यमंत्री और मंत्री, जिनका वहां मौजूद रहना आवश्यक था, वे पूरी तरह से गायब रहे। जनता को भगवान भरोसे छोड़कर सरकार की निष्क्रियता ने यह साबित कर दिया कि मौके पर निर्णय लेने और त्वरित कार्रवाई करने की क्षमता का प्रशासन में अभाव है।
हेमा मालिनी का दावा – महाकुंभ में सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित
जबकि अखिलेश यादव ने महाकुंभ की तैयारियों पर सवाल उठाए और सरकार की नाकामी को उजागर किया, वहीं भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने आयोजन की व्यवस्थाओं को संतोषजनक बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस ऐतिहासिक आयोजन को व्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए व्यापक स्तर पर काम किया है। उनकी राय में, अव्यवस्थाओं की जो तस्वीरें दिखाई जा रही हैं, वे वास्तविकता से परे हैं और सरकार की छवि खराब करने की साजिश के तहत फैलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि महाकुंभ जैसे भव्य धार्मिक आयोजनों में भीड़ नियंत्रण और यातायात प्रबंधन एक चुनौती होती है, लेकिन प्रशासन ने सभी आवश्यक कदम उठाए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने हर स्तर पर योजनाबद्ध तरीके से व्यवस्थाओं को लागू किया है, ताकि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को उचित सुविधाएं मिलें। हेमा मालिनी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया है और प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से मुस्तैद है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ विपक्षी नेता केवल नकारात्मकता फैलाने और सरकार की छवि धूमिल करने के लिए गलत खबरें फैला रहे हैं, जबकि जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। उनके अनुसार, आयोजन स्थल पर साफ-सफाई, सुरक्षा, यातायात नियंत्रण और आवश्यक सेवाओं को प्रभावी ढंग से संचालित किया गया है, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा।