देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति और टाटा समूह के आजीवन चेयरमैन एमिरेट्स, रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं रहे। 86 वर्ष की उम्र में भी सक्रिय रहने वाले इस महान शख्सियत ने बुधवार रात 11:30 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। अपने जीवनकाल में टाटा समूह को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाले रतन टाटा को भारतीय उद्योग जगत का ‘रत्न’ कहा जाता था। उनकी सादगी, विनम्रता और मानवता के प्रति उनका प्रेम उन्हें हर दिल अजीज बनाता था।
प्रेरणास्रोत, सादगी और नेक दिल इन्सान
रतन टाटा सिर्फ एक उद्योगपति नहीं थे, बल्कि एक प्रेरणास्रोत थे, जो सादगी और सेवा भाव से भरे हुए थे। उन्होंने अपने कर्मचारियों को परिवार की तरह माना और उनकी भलाई के लिए हमेशा तत्पर रहे। उनके जीवन का हर पहलू समाज को कुछ सिखाने वाला था। 2011 में 73 वर्ष की उम्र में बंगलूरू एयर शो में एपी-17 लड़ाकू विमान उड़ाने का उनका जज़्बा आज भी लोगों के दिलों में ताजा है। उनका यह साहस और समर्पण जीवन के अंतिम क्षणों तक कायम रहा।
कुत्तों से प्यार और इंसानियत की मिसाल
रतन टाटा का जीवन सिर्फ व्यापार और उद्योग तक सीमित नहीं था। वह कुत्तों से बेहद प्यार करते थे। एक बार उन्होंने मुंबई के टाटा मुख्यालय के बाहर बारिश में भीग रहे आवारा कुत्तों को अंदर आश्रय देने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं, 2018 में उन्होंने अपने बीमार कुत्ते की देखभाल के लिए प्रिंस चार्ल्स का आमंत्रण तक ठुकरा दिया। उनके इस मानवीय पहलू ने हर किसी को प्रेरित किया और यह साबित किया कि वह दिल से कितने नेक थे।
फोर्ड से लिया अपमान का लिया बदला
रतन टाटा के करियर में एक समय ऐसा भी आया जब टाटा मोटर्स का यात्री कार डिवीजन घाटे में चल रहा था। उस समय फोर्ड कंपनी के अध्यक्ष बिल फोर्ड ने टाटा समूह का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि “तुमने यात्री कार डिवीजन शुरू क्यों किया? अगर मैं इसे खरीदता हूं, तो यह तुम पर अहसान होगा।” इस अपमान के बावजूद रतन टाटा ने धैर्य और साहस से काम लिया। 2008 में उन्होंने फोर्ड के लग्जरी ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 अरब डॉलर में खरीदकर इतिहास रच दिया। यह उनकी दृढ़ संकल्प की जीत थी।
भारत का गौरव: पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित
रतन टाटा को 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उनकी सेवाओं और समर्पण के लिए भारत सरकार ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक से नवाजा। रतन टाटा के योगदान ने न सिर्फ भारतीय उद्योग जगत को, बल्कि समाज को भी नई दिशा दी।
30 से अधिक स्टार्टअप को दी उड़ान
टाटा समूह से रिटायर होने के बाद भी, रतन टाटा ने नए युग के स्टार्टअप्स में निवेश कर युवाओं को प्रोत्साहित किया। ओला, पेटीएम, स्नैपडील जैसे स्टार्टअप्स को उनकी सोच और वित्तीय सहयोग ने उड़ान दी। वह हमेशा युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहे।
जब प्रेम अधूरा रह गया
रतन टाटा ने एक बार अपने निजी जीवन का एक दुखद किस्सा साझा किया था। जब वह लॉस एंजिलिस में पढ़ाई कर रहे थे, तब उन्हें पहली बार प्यार हुआ था। वह उस लड़की से शादी करना चाहते थे, लेकिन भारत-चीन युद्ध की वजह से उस लड़की के परिवार ने इस रिश्ते को मंजूरी नहीं दी। रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की और अपने जीवन को पूरी तरह से समाज और देश की सेवा में समर्पित कर दिया।
देश को मिली अनमोल विरासत
रतन टाटा का निधन भारतीय उद्योग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन सादगी, सेवा और मानवता की मिसाल रहा। उनके द्वारा बनाए गए टाटा समूह का आज 13 लाख 85 हजार करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व है, जो उन्हें दुनिया के सबसे बड़े उद्योगपतियों में गिनाता है। लेकिन रतन टाटा की सबसे बड़ी संपत्ति उनकी विनम्रता, मानवता और देश के प्रति उनका अटूट प्रेम था।
उनका जाना देश के हर नागरिक के लिए दुखदायी है, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी। उनके योगदान, उनके मूल्यों और उनकी उदारता को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।