2006 के नोएडा के निठारी कांड में आरोपी सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। 134 दिनों तक चली लंबी बहस के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था और सोमवार (16 अक्टूबर) को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया। निचली अदालत ने कोली को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जज अश्वनी कुमार मिश्रा और एसएएच रिजवी की बेंच ने यह फैसला सुनाया।
कोली पर लगे थे आरोप
कोली पर आरोप है कि वह पंढेर की डी-5 की कोठी का केयरटेकर था। जहां वह लड़कियों को बहला-फुसला और लालच देकर कोठी में लाता और उनसे दुष्कर्म करने के बाद उनकी हत्या कर देता था। हत्या के बाद लाश के टुकड़े-टुकड़े कर बाहर फेंक आता था। निठारी गांव से दर्जनों लड़कियों गायब हो गई थी फिर तहकीकात के बाद यह पूरा मामला सामने आया था।
दर्जनों मामलें में मिली फांसी की सजा
नोएडा के चर्चित निठारी कांड में निचली अदालत ने कोली को एक दर्जन से ज्यादा के मामलों में फांसी की सजा सुनाई है। यह मामला 2005-06 के बीच का है। मामले से पर्दा तब उठा, जब नौकरी की तलाश में घर से निकली एक युवती के पिता ने बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट नोएडा के सेक्टर-20 थाने में दर्ज कराई। पुलिस की जांच में दिल दहला देने वाला मामला सामने आया था। निठारी गांव में रहने वाले मोनिंदर सिंह पंढेर की डी-5 वाली कोठी के पीछे नाले से पुलिस ने बच्चों और महिलाओं के दर्जनों कंकाल बरामद किए थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को इसमें आरोपी बनाया था। पुलिस की कार्रवाई के बीच ही मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था। सीबीआई ने अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के कुल 16 मामले दोनों के खिलाफ दर्ज किए थे।
फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक
गाजियाबाद स्थित सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को एक दर्जन से अधिक मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा के क्रियान्वयन पर रोक लगा रखी थी। कोली ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में फांसी की सजा के सभी आदेशों को चुनौती दे रखी थी। जिसपर कई बार बहस भी हो चुकी है, लेकिन कई कारणों से सुनवाई पूरी नहीं हो पा रही थी। मुंबई से आए कोली के वकील ने कोर्ट की पहली सुनवाई के दिन अभियोजन की कहानी को झूठा करार देते हुए कहा तर्क दिया था कि, कोली ने पुलिस द्वारा किए यातनाओं के दबाव में जुर्म को स्वीकारा था।