लखनऊ: सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने डीएसपी जियाउल हक हत्याकांड मामले में 10 आरोपियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। कोर्ट ने साथ ही सभी दोषियों पर 19500-19500 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। बुधवार, 9 अक्टूबर को सज़ा का ऐलान किया गया, जबकि इससे पहले 4 अक्टूबर को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आरोपियों को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने सज़ा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 9 अक्टूबर की तारीख तय की थी, जिसके बाद अब फैसला सुनाया गया।
2013 में हुआ था जिया उल हक का निर्मम हत्याकांड
यह मामला 2 मार्च 2013 का है, जब कुंडा के बलीपुर गांव में विवाद के दौरान गांव के प्रधान नन्हे यादव की हत्या कर दी गई थी। प्रधान नन्हे यादव की हत्या के बाद उनके भाई की भी गोली लगने से मौत हो गई थी, जिसके बाद यह घटना और भड़क उठी थी। और गुस्साई भीड़ ने कुंडा सर्किल के तत्कालीन सीओ जियाउल हक को लाठी-डंडों से पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी थी।
माता-पिता ने की थी आरोपियों के लिए उम्रकैद की मांग
जियाउल हक के माता-पिता ने भी इस जघन्य हत्याकांड के आरोपियों के लिए उम्रकैद की सज़ा की मांग की थी। उनका कहना था कि उनके बेटे की निर्मम हत्या के लिए दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए, ताकि न्याय की पूरी उम्मीद कायम रहे।
सीबीआई ने पहले ही दे दी थी राजा भैया को क्लीन चिट
इस हत्याकांड में कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबी गुलशन यादव का नाम भी सामने आया था। लेकिन सीबीआई ने जांच के दौरान राजा भैया को क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि, इस मामले में प्रधान नन्हे यादव के बेटे योगेंद्र उर्फ बबलू, भाई पवन, फूलचंद्र और गार्ड मंजीत सहित अन्य को मुख्य आरोपी बनाया गया था।
जियाउल हक की पत्नी को मिलेगा मुआवजा
सीबीआई कोर्ट ने 10 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा के साथ ही 19500-19500 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस जुर्माने की आधी रकम जियाउल हक की पत्नी को दी जाएगी, जो पिछले 11 सालों से इस मामले में न्याय की मांग कर रही थीं।
सीओ जिया उल हक: एक जांबाज अधिकारी की दर्दनाक हत्या
देवरिया जिले के नूनखार टोला जुआफर के रहने वाले जिया उल हक को 2012 में कुंडा सर्किल की जिम्मेदारी मिली थी। उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए उन्हें जाना जाता था। 2 मार्च 2013 की शाम हथिगवां के बलीपुर गांव में प्रधान नन्हे यादव की हत्या के बाद जियाउल हक मामले की जांच करने पहुंचे थे, जहां उन्हें भीड़ ने पीट-पीटकर और गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था।
11 साल बाद आखिरकार हुआ इंसाफ
इस हत्याकांड के 11 साल बाद, सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 10 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस फैसले से जिया उल हक के परिवार और न्याय की मांग करने वालों को राहत मिली है। उनके माता-पिता, जिन्होंने भी इस सजा की मांग की थी, उनको आखिरकार उनके बेटे के लिए न्याय मिला।