देश के मशहूर उद्योगपति और टाटा संस के आजीवन चेयरमैन एमिरेट्स, रतन टाटा का निधन न केवल व्यापार जगत बल्कि लाखों दिलों में एक गहरा शून्य छोड़ गया है। उनकी सादगी, विनम्रता और परोपकारी स्वभाव ने उन्हें सिर्फ एक उद्योगपति नहीं, बल्कि एक महान व्यक्तित्व बना दिया था। वह न केवल अपने कामों से बल्कि अपने मानवीय संवेदनाओं से भी लोगों के दिलों में बसे रहे। उनके चले जाने के बाद उनके जीवन से जुड़े कई किस्से और यादें आज भी लोगों की आंखों को नम कर देती हैं। उन्हीं में से एक खास किस्सा उनके कुत्ते के प्रति उनके प्यार से जुड़ा हुआ है।
जानवरों के प्रति रतन टाटा का अनूठा लगाव
रतन टाटा सिर्फ एक उद्योगपति नहीं थे, वह एक ऐसे व्यक्ति थे, जिनका दिल जानवरों के प्रति असीम प्रेम से भरा हुआ था। विशेषकर कुत्तों के प्रति उनका लगाव उनके जीवन का अहम हिस्सा था। रतन टाटा ने कई बेसहारा कुत्तों को अपनाया और उन्हें अपना परिवार माना। उनका सबसे पसंदीदा कुत्ता ‘गोवा’ था, जिसका नाम उन्होंने उस राज्य के नाम पर रखा जहां से वह बेसहारा पिल्ला उनके पास आया था। रतन टाटा अक्सर इस पिल्ले के साथ अपने दफ्तर में बैठकों में जाते थे, और उनके चेहरे पर वह खुशी देखने लायक होती थी जब वे अपने कुत्ते के साथ होते थे।
कुत्ते के लिए छोड़ा प्रिंस चार्ल्स का आमंत्रण
रतन टाटा की कुत्तों के प्रति इस असीम प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब उन्होंने अपने बीमार कुत्ते की देखभाल के लिए ब्रिटेन के शाही राजकुमार, प्रिंस चार्ल्स का एक महत्वपूर्ण आमंत्रण तक ठुकरा दिया। यह घटना 2018 की है, जब बकिंघम पैलेस में रतन टाटा को उनके परोपकारी कार्यों के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया जाने वाला था। लेकिन जब रतन टाटा को यह पता चला कि उनका कुत्ता बीमार है, उन्होंने सारी योजनाएं रद्द कर दीं और कार्यक्रम में जाने के बजाय अपने प्यारे साथी के पास रुकना बेहतर समझा।
11 मिस कॉल्स और एक दिल छू लेने वाली बात
भारतीय उद्योगपति सुहेल सेठ ने इस किस्से को साझा करते हुए बताया कि जब वह लंदन एयरपोर्ट पर उतरे, तो उन्होंने देखा कि उनके फोन पर रतन टाटा की 11 मिस कॉल्स थीं। उन्होंने तुरंत उन्हें कॉल बैक किया और रतन टाटा ने बताया कि उनके कुत्तों में से एक गंभीर रूप से बीमार है, और वह उसे इस हालत में छोड़कर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते। सुहेल सेठ ने उन्हें मनाने की पूरी कोशिश की, लेकिन रतन टाटा का अपने प्यारे कुत्ते के प्रति प्यार इतना गहरा था कि उन्होंने इस महत्वपूर्ण समारोह को भी नजरअंदाज कर दिया।
प्रिंस चार्ल्स की प्रतिक्रिया: “यही है सच्ची महानता”
जब प्रिंस चार्ल्स को इस बात का पता चला कि रतन टाटा अपने बीमार कुत्ते की देखभाल के कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए, तो उन्होंने रतन टाटा की तारीफ करते हुए कहा, “इंसान ऐसा होना चाहिए। रतन टाटा कमाल के इंसान हैं। यही कारण है कि टाटा हाउस आज इस मुकाम पर है।” यह बात सुनकर सबको एहसास हुआ कि रतन टाटा की सच्ची महानता उनके व्यवसाय में नहीं, बल्कि उनके दिल में छिपी थी।
गोवा: रतन टाटा का खास साथी
रतन टाटा का पालतू कुत्ता ‘गोवा’ उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा था। गोवा, जिसे रतन टाटा ने गोवा से मुंबई लाया था, उनके जीवन में खास जगह रखता था। एक बार रतन टाटा ने बताया था कि गोवा नाम का यह पिल्ला उनकी सहयोगी की कार में चढ़कर बॉम्बे हाउस पहुंचा, और वहीं से उनका प्यार शुरू हुआ। गोवा का नामकरण भी इस प्यारी घटना से प्रेरित था।
एक ऐसा जीवन, जो प्यार, सादगी और सेवा से भरा हुआ था
रतन टाटा का जीवन सिर्फ उनके व्यवसायिक उपलब्धियों के लिए नहीं, बल्कि उनके अद्वितीय व्यक्तित्व के लिए भी याद किया जाएगा। वह अपनी सादगी, मानवता और जानवरों के प्रति अपने असीम प्रेम के लिए सदैव प्रेरणा बने रहेंगे। उनका यह किस्सा हमें बताता है कि रतन टाटा के लिए पैसा और शोहरत कभी प्राथमिकता नहीं रहे, बल्कि उनकी प्राथमिकता हमेशा से उनके मूल्य, उनके रिश्ते और उनके प्यारे साथी रहे।
रतन टाटा के निधन से एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनकी यादें, उनके आदर्श और उनका प्रेम हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।