देवरिया न्यूज़, रामलीला मैदान 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र के कर्मचारियों ने अवर अभियंता शशांक चौबे और उपखंड अधिकारी चंद्रभूषण कुमार के नेतृत्व में जन जागरूकता जुलूस का आयोजन किया। इस जुलूस का मुख्य उद्देश्य लोगों को सरकार द्वारा 15 दिसंबर से शुरू की जा रही एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) के प्रति जागरूक करना था।
उपभोक्ताओं के लिए राहत का अवसर
जुलूस के दौरान अधिकारियों ने बताया कि एकमुश्त समाधान योजना का उद्देश्य उपभोक्ताओं को बकाया बिजली बिलों का निपटारा करने का अवसर प्रदान करना है। इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को बकाया बिल के साथ ही अतिरिक्त ब्याज और जुर्माने में भी छूट दी जाएगी। कर्मचारियों ने पोस्टर के माध्यम से लोगों को योजना की जानकारी दी और उनसे योजना का लाभ उठाने की अपील की।
सीमित समय के लिए विशेष मौका
विद्युत विभाग के उपखंड अधिकारी चंद्रभूषण कुमार ने बताया कि यह योजना 15 दिसंबर से शुरू होकर सीमित अवधि के लिए लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को इस अवसर का लाभ उठाकर अपने लंबित बिलों को निपटाना चाहिए, क्योंकि योजना समाप्त होने के बाद उन्हें पेनल्टी और अतिरिक्त ब्याज का भुगतान करना पड़ सकता है।
घर-घर पहुंचाया संदेश
जुलूस के दौरान कर्मचारियों ने घर-घर जाकर लोगों को योजना के लाभों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिन उपभोक्ताओं के बिजली बिल लंबे समय से लंबित हैं, वे इस योजना के माध्यम से आसानी से उनका निपटारा कर सकते हैं। जुलूस के माध्यम से विभाग ने आम जनता के बीच यह संदेश दिया कि “जल्दी आएं, ज्यादा पाएं“, ताकि अधिक से अधिक लोग इस योजना से लाभान्वित हो सकें।
क्या है एकमुश्त समाधान योजना?
एकमुश्त समाधान योजना का उद्देश्य उपभोक्ताओं को लंबित बिजली बिलों का भुगतान करने का एक आसान और सुलभ तरीका प्रदान करना है। इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को पेनल्टी और अतिरिक्त ब्याज से राहत दी जाती है। यह योजना न केवल उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद है बल्कि विभाग के लिए भी राजस्व में सुधार करने का एक प्रभावी प्रयास है।
अधिकारियों की अपील
अवर अभियंता शशांक चौबे ने उपभोक्ताओं से अपील करते हुए कहा कि इस योजना का लाभ उठाने के लिए वे जल्द से जल्द अपने नजदीकी विद्युत कार्यालय में संपर्क करें। उन्होंने बताया कि यह योजना उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिनके बिजली बिल किसी कारणवश लंबित रह गए हैं। योजना की समयसीमा समाप्त होने के बाद उपभोक्ताओं को अतिरिक्त शुल्क और पेनल्टी का भुगतान करना पड़ सकता है।
-अमित मणि त्रिपाठी