Ballia: जिला अस्पताल में निजी एंबुलेंस का कब्जा, मरीजों का हो रहा आर्थिक शोषण

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बलिया न्यूज़, जिला अस्पताल परिसर में निजी एंबुलेंस संचालकों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। सरकारी एंबुलेंस सेवा होते हुए भी मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। निजी एंबुलेंस चालक, इमरजेंसी के चिकित्सकों और कर्मचारियों की मिलीभगत से मरीजों को भ्रमित कर महंगे निजी अस्पतालों में भर्ती करा रहे हैं, जिससे मरीजों के परिजनों का मानसिक और आर्थिक शोषण हो रहा है।

कैसे होता है खेल?

जिलाधिकारी प्रवीण लक्षकार की सख्त चेतावनी के बावजूद निजी एंबुलेंस संचालक अस्पताल परिसर के आसपास अपनी एंबुलेंस खड़ी कर लेते हैं। दोपहर बाद यह एंबुलेंस इमरजेंसी, पोस्टमार्टम और ट्रॉमा सेंटर के आसपास दिखती हैं। मरीजों के आते ही यह चालक परिजनों को अस्पताल की व्यवस्था खराब बताते हुए दूसरे निजी अस्पताल ले जाने का झांसा देते हैं।

इनका तर्क होता है कि सरकारी एंबुलेंस देरी से पहुंचेगी या अस्पताल में इलाज ठीक नहीं होगा। ये मरीजों को रास्ते में समझा-बुझाकर मऊ के निजी अस्पतालों में भर्ती कराते हैं। बदले में इन्हें मोटा कमीशन मिलता है।

सीसीटीवी कैमरे के बावजूद बेखबर प्रशासन

अस्पताल परिसर और इमरजेंसी में 32 सीसीटीवी कैमरे लगे होने के बावजूद निजी एंबुलेंस संचालक प्रतिदिन 10 से 15 मरीजों को मऊ के निजी अस्पताल ले जाते हैं। अस्पताल प्रशासन और सुरक्षा कर्मी इन घटनाओं पर ध्यान नहीं देते, जिससे मरीज और उनके परिजन परेशान हो रहे हैं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस मामले में अस्पताल के सीएमएस डॉ. सुजीत कुमार यादव ने बताया कि पुलिस और सुरक्षा कर्मियों को अस्पताल परिसर में अनधिकृत रूप से खड़ी एंबुलेंस के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि कोई एंबुलेंस चालक इमरजेंसी या वार्ड में मरीजों को बरगलाता हुआ पाया गया तो सख्त कार्रवाई होगी।

मरीजों की सुरक्षा पर सवाल

अस्पताल प्रशासन की अनदेखी और निजी एंबुलेंस संचालकों की मनमानी से मरीजों और उनके परिजनों को मानसिक और आर्थिक दोनों तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है।