बॉम्बे हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में बुधवार को सुनवाई पूरी की गई है। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार राकांपा नेता अनिल देशमुख की जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू की थी।
दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि वह देशमुख की जमानत याचिका पर तेजी से फैसला करे, क्योंकि यह केस मार्च 2022 से लंबित है। तब से हाईकोर्ट के चार न्यायाधीश रेवती मोहिते डेरे, पीडी नाइक, भारती डांगरे और पी के चव्हाण ने पूर्व मंत्री की जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर चुके हैं। मंगलवार को न्यायमूर्ति एन जे जमादार की एकल पीठ ने जमानत याचिका पर सुनवाई की। देशमुख के वकीलों ने अपनी दलीलें पूरी कीं। इसके बाद बुधवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय के वकील की दलीलें सुनीं।
पूर्व मंत्री के वकील विक्रम चौधरी ने मंगलवार को तर्क दिया कि यह एक ओपन और शट केस नहीं बल्कि यह एक विचार था। चौधरी ने तर्क दिया कि इस मामले में मुद्दे बेहद व्यापक हैं और सुनवाई एक लंबी प्रक्रिया होने जा रही है। अदालत को जमानत पर समग्र दृष्टिकोण से विचार करना चाहिए और आवेदक का कोई पुराना आपराधिक इतिहास नहीं है, उसे एक दिन और जेल में क्यों भुगतना चाहिए? उन्होंने अदालत को बताया कि कि देशमुख 72 वर्ष के हैं और फेफड़े और रीढ़ की बीमारियों सहित विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं और यह उन पर भारी पड़ रहा है।