देवरिया न्यूज़, देवरिया मेडिकल कॉलेज, जो स्वास्थ्य सेवाओं के उच्च मानकों के लिए जाना जाना चाहिए, वहां मरीजों को डॉक्टरों की जानकारी के अभाव में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महिला वार्डों के बाहर डॉक्टरों के ड्यूटी की सूची न होने से मरीजों को सही डॉक्टर के पास पहुंचने में दिक्कत हो रही है। यह स्थिति खासकर दूर-दराज से आए मरीजों के लिए और भी ज्यादा कठिन हो जाती है।
डॉक्टर का पता लगाना बना मुश्किल
मरीजों का कहना है कि डॉक्टर की उपलब्धता और उनकी ड्यूटी के दिनों की कोई जानकारी अस्पताल में कहीं नहीं दी गई है। इस कारण मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। जब वे स्टाफ से मदद मांगते हैं, तो उन्हें भी सही जवाब नहीं मिल पाता।
प्रशासन का वादा, लेकिन कब पूरा होगा?
जब इस समस्या पर प्रशासन से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि जल्द ही सभी ओपीडी कक्षों और महिला वार्डों में उपस्थित डॉक्टरों की सूची, कक्ष संख्या के साथ पंजीकरण काउंटर के पास चस्पा कर दी जाएंगी। लेकिन यह “जल्द” कब आएगा, यह सवाल अब भी अनुत्तरित है।
मरीजों का दर्द
डॉक्टरों की सूची न लगने की समस्या कोई नई नहीं है। वर्षों से यह समस्या चली आ रही है, लेकिन प्रशासन ने इसे कभी प्राथमिकता नहीं दी। मरीजों का कहना है कि डॉक्टरों तक पहुंचने की यह असमर्थता केवल समय की बर्बादी नहीं, बल्कि उनकी स्थिति को और बिगाड़ देती है।
दीवारें और दरवाजे़ भी हैं गवाह
अस्पताल की दीवारें और डॉक्टरों के चेंबर के दरवाजे़ भी मानो अपनी बेबसी बयान कर रहे हैं। वर्षों से डॉक्टरों की सूची लगाने की बात की जा रही है, लेकिन अब तक यह काम अधूरा है।
“दीवारें मौन, दरवाज़े बेबस,
मरीजों की परेशानी, समझो प्रशासन!“
मरीजों की असहायता
- डॉक्टरों की जानकारी न होने से मरीजों का बहुमूल्य समय बर्बाद हो रहा है।
- दूर-दराज से आए मरीजों को बार-बार अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
- ग्रामीण क्षेत्र के मरीज़ो को होती हैं ज्यादा परेशानियां।
- अस्पताल स्टाफ भी स्पष्ट जानकारी देने में असमर्थ रहता है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल
देवरिया मेडिकल कॉलेज जैसे बड़े संस्थान में ऐसी समस्याएं होना प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। मरीजों के लिए अस्पताल में आने का उद्देश्य अपनी बीमारी का इलाज कराना है, न कि डॉक्टरों का पता लगाने में समय गंवाना।
प्रशासन कब उठाएगा ठोस कदम?
अब समय आ गया है कि प्रशासन इस समस्या को प्राथमिकता दे और डॉक्टरों की सूची हर ओपीडी कक्ष और महिला वार्डों के बाहर उपलब्ध कराए।
मरीजों की परेशानी को नजरअंदाज करना स्वास्थ्य सेवाओं के मूल उद्देश्य के खिलाफ है। देखना होगा कि प्रशासन अपने वादों को कब हकीकत में बदलता है, या मरीजों को ऐसे ही असहाय छोड़ दिया जाएगा।