National News: गठबंधन के लिए बलिदान? अन्नामलाई के इस्तीफे से बदले तमिल राजनीति के समीकरण

Share This

नेशनल डेस्क, तमिलनाडु की राजनीति में इन दिनों एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। राज्य में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई कर रहे के. अन्नामलाई ने अचानक पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। हालांकि उनकी तरफ से इस इस्तीफे की आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, उन्होंने अपना इस्तीफा शीर्ष नेतृत्व को दे दिया है। इस घटनाक्रम ने 2026 विधानसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु की राजनीतिक जमीन को हिला कर रख दिया है।

दूसरी ओर, भाजपा ने हालिया लोकसभा चुनाव में मिली निराशा के बाद अपने पुराने साथी AIADMK से फिर से हाथ मिलाने का मन बना लिया है। इस नई दोस्ती की पहली शर्त थी कि तमिलनाडु में पार्टी नेतृत्व में परिवर्तन किया जाए। और यहीं से अन्नामलाई की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लग गया।

कौन हैं के. अन्नामलाई?

राजनीतिक गलियारों में जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह है के. अन्नामलाई। 4 जून 1984 को जन्मे अन्नामलाई ने लखनऊ के प्रतिष्ठित आईआईएम संस्थान से पढ़ाई की और इसके बाद इंडियन पुलिस सर्विस में शामिल हुए। कन्नड़, तमिल, अंग्रेज़ी और हिंदी भाषा पर समान अधिकार रखने वाले अन्नामलाई ने कर्नाटक में अपनी सेवा दी और एक बेहद ईमानदार और बेबाक अफसर के रूप में पहचान बनाई।

अपनी नौकरी से इस्तीफा देने के बाद 2021 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और महज कुछ समय में वे तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष बना दिए गए। 8 जुलाई 2021 को उन्होंने यह जिम्मेदारी संभाली और तब से लगातार राज्य में पार्टी को नई पहचान दिलाने की कोशिश की। कई बार विवादों के केंद्र में रहते हुए भी वे भाजपा के चेहरे के रूप में उभरे।

क्या गठबंधन की राजनीति में कुर्बान हुए अन्नामलाई?

तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा अचानक नहीं हुआ है। इसके पीछे राजनीतिक घटनाक्रम और गठबंधन की मजबूरियाँ गहराई से जुड़ी हैं। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री और AIADMK महासचिव ई. पलानीस्वामी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बातचीत के दौरान AIADMK की तरफ से साफ किया गया कि अगर गठबंधन दोबारा बनाना है तो अन्नामलाई को अध्यक्ष पद से हटाया जाए।

AIADMK के नेताओं ने आरोप लगाया कि अन्नामलाई पार्टी के नेताओं का अपमान करते हैं और उनके साथ सहयोग नहीं करते। इस राजनीतिक दबाव के बीच भाजपा नेतृत्व ने यह मान लिया कि अगर गठबंधन मजबूत करना है तो यह बलिदान देना ही होगा। इसके बाद अन्नामलाई दिल्ली पहुंचे और पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि पार्टी का नया अध्यक्ष 9 अप्रैल को घोषित किया जा सकता है।

क्या बीजेपी-AIADMK का फिर होगा मिलन? गठबंधन की राजनीतिक मजबूरी

2021 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी और AIADMK साथ लड़े थे। इस गठबंधन के कारण भाजपा को चार विधायक मिले थे, लेकिन इसके बाद रिश्तों में खटास आ गई। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले AIADMK ने अन्नामलाई के व्यवहार को लेकर गठबंधन तोड़ दिया। इस चुनाव में भाजपा को राज्य में एक भी सीट नहीं मिली, वहीं AIADMK को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा।

अब 2026 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दोनों पार्टियों को एक मजबूत गठबंधन की जरूरत महसूस हो रही है ताकि DMK-कांग्रेस गठजोड़ को टक्कर दी जा सके। ऐसे में अन्नामलाई की जगह नए चेहरे को लाकर गठबंधन को मजबूती देने की कोशिश की जा रही है।

राजनीति में एक और मोड़: नए अध्यक्ष की तलाश शुरू

अन्नामलाई के इस्तीफे के बाद तमिलनाडु भाजपा के नए अध्यक्ष की दौड़ शुरू हो गई है। पार्टी के भीतर तीन नाम सबसे आगे माने जा रहे हैं। इनमें पहला नाम केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन का है, जो पहले भी तमिलनाडु भाजपा का नेतृत्व कर चुके हैं। दूसरा नाम है तमिलसाई सौंदर्यराजन, जो हाल ही में लोकसभा चुनाव में हार गईं लेकिन संगठन पर अच्छी पकड़ रखती हैं।

तीसरे उम्मीदवार नैना नागेंद्रन हैं, जो संगठन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं और दक्षिण तमिलनाडु में लोकप्रिय हैं। ऐसे में पार्टी एक ऐसा नेता चाहती है जो ना केवल संगठन को एकजुट रखे, बल्कि AIADMK के साथ समन्वय बनाकर चुनावी लड़ाई को मजबूत करे।

क्यों हो रहा है बदलाव?

बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व जानता है कि तमिलनाडु में चुनाव जीतना आसान नहीं है। DMK की पकड़ मजबूत है और स्टालिन सरकार का जनाधार बरकरार है। इसलिए राज्य में पार्टी संगठन को लेकर बदलाव करना जरूरी समझा गया। अन्नामलाई जैसे तेजतर्रार नेता के रहते AIADMK के साथ संवाद मुश्किल हो रहा था, जिससे गठबंधन की संभावनाएं खत्म हो रही थीं।

इसीलिए पार्टी ने ऐसा चेहरा तलाशने का फैसला किया जो सभी गुटों को साथ लेकर चल सके और किसी भी स्तर पर विवाद से दूर रहे। यही कारण रहा कि अन्नामलाई को फिलहाल किनारे कर दिया गया।

क्या अन्नामलाई की विदाई स्थायी है?

हालांकि अन्नामलाई ने साफ किया है कि वे अध्यक्ष पद के दावेदार नहीं हैं, लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि वे राजनीति से अलग हो रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी उनके काम को महत्व देती है और उन्हें जल्द ही किसी नई भूमिका में देखा जा सकता है। सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव में मिली हार के बावजूद उन्हें एक जिम्मेदारी दी जा सकती है, शायद राष्ट्रीय प्रवक्ता या दक्षिण भारत में पार्टी के लिए रणनीतिक सलाहकार के रूप में।

इस बात में कोई दो राय नहीं कि अन्नामलाई भाजपा के सबसे चर्चित और प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं और तमिलनाडु जैसे कठिन राजनीतिक प्रदेश में उन्होंने पार्टी की मौजूदगी दर्ज कराई है।

AIADMK के लिए राहत, बीजेपी के लिए चुनौती

अन्नामलाई के इस्तीफे से जहां AIADMK को राहत मिली है, वहीं भाजपा के लिए यह चुनौती का समय है। राज्य में अपनी जमीनी पकड़ को मजबूत करने के लिए भाजपा को अब रणनीतिक ढंग से नेतृत्व चयन करना होगा। इसके अलावा, नई गठबंधन नीति को जनमानस में भी स्वीकार करवाना एक कठिन कार्य होगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि भाजपा और AIADMK ने अपने-अपने मतभेद भुलाकर एकजुट होकर रणनीति बनाई, तो वे 2026 के चुनाव में DMK के खिलाफ मजबूत विकल्प बन सकते हैं।

तमिल राजनीति में जारी उबाल, निगाहें अब 9 अप्रैल पर

अब तमिलनाडु भाजपा की कमान किसे सौंपी जाएगी, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। पार्टी नेतृत्व ने संकेत दिया है कि 9 अप्रैल को नया अध्यक्ष घोषित किया जाएगा। भाजपा ने संकेत दे दिया है कि परिवर्तन समय की मांग है और बदलाव के बिना नई शुरुआत संभव नहीं। अन्नामलाई की विदाई के साथ ही एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है, जिसमें कई नए चेहरे सामने आ सकते हैं।