लखनऊ न्यूज़, पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उनके योगदान और विचारधारा पर विस्तार से चर्चा की गई। उपाध्याय जी द्वारा प्रस्तुत दर्शन को समकालीन संदर्भों में अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए मुख्यमंत्री ने उनके सिद्धांतों को समाज के उत्थान का आधार बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज के सबसे वंचित व्यक्ति को मुख्यधारा से जोड़ने की आवश्यकता है, क्योंकि यही उपाध्याय जी का लक्ष्य था। वर्तमान सरकार इस विचारधारा को वास्तविकता में बदलने के लिए निरंतर प्रयासरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्र और राज्य सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं को गति दे रही है, ताकि हर जरूरतमंद व्यक्ति तक संसाधन पहुंचाए जा सकें।
अंत्योदय की अवधारणा को बीजेपी सरकार बना रही हकीकत
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने समाज के उत्थान का जो सिद्धांत प्रस्तुत किया था, उसमें गरीब और वंचित तबके का कल्याण सर्वोपरि था। उनका मानना था कि किसी भी राष्ट्र की वास्तविक तरक्की का मापदंड केवल आर्थिक ऊँचाइयों को छूने वालों से नहीं लगाया जाना चाहिए, बल्कि उन लोगों की स्थिति से तय किया जाना चाहिए जो सामाजिक और आर्थिक सीढ़ी के निचले पायदान पर खड़े हैं। उनकी इसी सोच को व्यवहारिक रूप देने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विकास की योजनाओं को इस तरह से क्रियान्वित किया जा रहा है कि समाज के हर तबके तक उसका लाभ पहुंच सके, विशेष रूप से उन लोगों तक जो दशकों से उपेक्षित महसूस कर रहे थे।
देश में चल रही कल्याणकारी नीतियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नई गति मिली है। “सबका साथ, सबका विकास” का मूल सिद्धांत इसी विचारधारा से प्रेरित होकर तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य हर नागरिक को समान अवसर देना और जीवन स्तर को सुधारना है। बीते एक दशक से अधिक समय में सरकार द्वारा कई योजनाएं लागू की गई हैं, जिनका लक्ष्य गरीबी हटाने के बजाय गरीबों को आत्मनिर्भर बनाना है। इन पहलों के माध्यम से आर्थिक असमानता को कम करने और प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं।
11 वर्षों में गरीबों को सशक्त बनाने का प्रयास
पिछले 11 वर्षों में सरकार ने गरीबों के उत्थान के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जिनका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को आत्मनिर्भर बनाना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों ने वंचित परिवारों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। आवास, स्वच्छता, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी सुधार किए गए हैं, जिससे समाज के सबसे कमजोर वर्गों को राहत मिली है। केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति बुनियादी सुविधाओं से वंचित न रहे।
सरकार की योजनाओं के तहत लाखों परिवारों को स्थायी आवास दिए गए और शौचालय निर्माण अभियान के माध्यम से स्वच्छता को बढ़ावा मिला। महिलाओं को धुएं से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए मुफ्त गैस कनेक्शन प्रदान किए गए, जिससे उनके स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ। खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए 80 करोड़ नागरिकों को निःशुल्क राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। इन सभी योजनाओं ने अंत्योदय की अवधारणा को वास्तविकता में बदलने का कार्य किया है।
सरकारी योजनाओं के लाभ:
- लाखों गरीबों को स्थायी आवास उपलब्ध कराए गए।
- 12 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण कर स्वच्छता को बढ़ावा दिया गया।
- 10 करोड़ परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन प्रदान किए गए।
- 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन की सुविधा दी जा रही है।
- सरकारी योजनाओं के जरिए समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने का प्रयास किया गया।
महाकुंभ को लेकर दुष्प्रचार करने वालों पर मुख्यमंत्री का पलटवार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों पर सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में मात्र 29 दिनों के भीतर 45 करोड़ श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में स्नान कर अपनी आस्था व्यक्त की। यह संख्या अपने आप में एक नया कीर्तिमान स्थापित करती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इतनी विशाल जनसंख्या एक अस्थायी नगर में एकत्र होकर स्नान कर सकती है, तो यह विश्व स्तरीय आयोजन की सफलता का प्रमाण है। यह आयोजन सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए श्रद्धा और एकता का प्रतीक बन चुका है।
मुख्यमंत्री ने उन लोगों पर कटाक्ष किया जो इस धार्मिक आयोजन को नकारात्मक दृष्टि से देख रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह सामाजिक समरसता और एकता का भी प्रतीक है। अलग-अलग पृष्ठभूमि, समुदाय और भाषा के लोग इस पवित्र अवसर पर एकत्र होकर भेदभाव से परे आस्था में लीन होते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसे “वीआईपी स्नान” से जोड़कर मिथ्या प्रचार करने में लगे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि महाकुंभ हमेशा से एक समानता और भाईचारे का संदेश देता आया है।
विकास कार्यों में बाधा डालने वाली नकारात्मक राजनीति पर मुख्यमंत्री का प्रहार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी दलों की आलोचना करते हुए कहा कि जब भी सरकार जनकल्याण की कोई योजना शुरू करती है, तो कुछ लोग उसमें कमियां निकालने में ही अपना समय व्यतीत करते हैं। उन्होंने कहा कि विकास की प्रक्रिया एक चरणबद्ध प्रणाली है, जिसमें प्रारंभिक असुविधाएं हो सकती हैं, लेकिन अंततः इसका लाभ जनता को ही मिलता है। बिना किसी पूर्वाग्रह के देखा जाए, तो हर बड़े निर्माण कार्य के दौरान अस्थायी कठिनाइयाँ होती हैं, लेकिन जब वह कार्य पूरा हो जाता है, तो वही लोग उसकी सराहना करते हैं। मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में बताया कि कई बार सड़क, जल आपूर्ति और अन्य मूलभूत सुविधाओं के निर्माण में अस्थायी दिक्कतें आती हैं, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से ये परियोजनाएँ नागरिकों की सुविधा को बढ़ाने के लिए ही होती हैं।
उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि जब सरकार गरीबों के लिए लाखों आवास उपलब्ध कराती है, तब सवाल उठाए जाते हैं कि बाकी लोगों को कब लाभ मिलेगा। लेकिन वास्तविकता यह है कि सरकार एक योजनाबद्ध तरीके से सभी जरूरतमंदों तक सुविधाएं पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है। जिन लोगों को आवास योजना का लाभ अब तक नहीं मिल पाया है, उनके लिए भी सरकार प्रयासरत है, और 3 करोड़ से अधिक नए आवासों की स्वीकृति पहले ही दी जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष का रवैया केवल आलोचना करने तक सीमित है, जबकि सरकार जमीनी स्तर पर कार्य कर रही है ताकि सभी को समान रूप से विकास का लाभ मिले।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की आज भी है प्रासंगिकता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय की अवधारणा के जनक थे। उनकी सोच केवल उनके समय तक सीमित नहीं रही, बल्कि आज भी सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में उतनी ही महत्वपूर्ण बनी हुई है। उन्होंने समाज के सबसे पिछड़े और उपेक्षित वर्ग के उत्थान की आवश्यकता को हमेशा सर्वोपरि रखा। उनके दर्शन ने यह सिखाया कि राष्ट्र की प्रगति तभी संभव है जब प्रत्येक नागरिक को समान अवसर मिले और कोई भी संसाधनों की कमी के कारण पीछे न छूटे। उनके विचार न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि समाज के सभी वर्ग एक साथ आगे बढ़ें, तो सशक्त राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। लोग भौतिक रूप से तो जुड़े होते हैं, लेकिन भावनात्मक रूप से अलग-थलग पड़ जाते हैं, तब सामाजिक असंतुलन पैदा होता है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामाजिक समरसता को प्राथमिकता देते हुए “सबका साथ, सबका विकास” की नीति को अपनाया। यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक संकल्प है, जो देश को सामाजिक और आर्थिक रूप से एकजुट करने की दिशा में मजबूत आधार प्रदान कर रहा है।