लखनऊ के अस्थाना की कलाकृति तीसरी बार साउथ कोरिया के अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में प्रदर्शित हुई

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राजधानी लखनऊ के युवा कलाकार, कला लेखक भूपेंद्र कुमार अस्थाना की कला कृति एक बार फिर साउथ कोरिया में अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में प्रदर्शित की गयी है। यह प्रदर्शनी साउथ कोरिया के उलजिन में स्थित येओन्हो शहर में संस्कृति केंद्र साउथ कोरिया में ‘मूविंग नेचर आर्ट’ के रूप में चल रही है। भूपेन्द्र ने यह पोट्रेट अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी ज्यूमगंग क्यूब नेचर आर्ट बिनाले -2022 में भेजकर पार्टिसिपेट किया था. पेपर मेसी में बनी इस पोट्रेट को बेहद पसंद किया गया है। इस कारण से अब तक इस पोट्रेट की तीसरी बार चयनित कर प्रदर्शित किया गया है।

भूपेंद्र कुमार की कलाकृतियां

2022 में भी की गयी थी प्रदर्शित

इस बार इस पोट्रेट को “वास्तुकला संरचना” – 2022 में 43 देशों के 224 अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों की 231 पोट्रेट के साथ अन्य कलाकारों के बीच प्रदर्शित किया गया है। इसी पोट्रेट को पिछले Geumgang Nature Art Biennale और अब 2023 Prebiennale कलाकृतियों के बीच चुना गया है। यह प्रदर्शनी 31 अगस्त से 27 सितंबर 2023 तक आयोजित की गई है। बता दें कि इस पोट्रेट को प्रदर्शनी पहली बार जून 2022 में और दूसरी बार सितंबर 2022 को और अब तीसरी बार भी प्रदर्शनी के लिए चुना गया है।

क्या कुछ कहा युवा कलाकार भूपेंद्र कुमार ने

वहीं, भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित पोट्रेट कागज़ की लुग्दी से बनी पेपर मैसी वर्क है, जो आर्किटेक्चरल स्ट्रक्चर के रूप में तैयार किया गया है। इस कृति का शीर्षक भी आर्किटेक्चरल स्ट्रक्चर है, जो 11x11x11 सेंटीमीटर के डायमेंशन में है। इस वर्क के पीछे जो विचार है उसे साझा करते हुए अस्थाना ने बताया कि प्रकृति में सबसे बुद्धिमान और सबसे महत्वपूर्ण इंसान है। और इंसान अपने जीवन यापन के लिए अनेकों सुविधाओं को लेकर बहुत संवेदनशील रहता है। इसमे सबसे महत्वपूर्ण सुविधा आवास का होता है, जिसे लेकर अनेकों तरीकों को अपनाता है और एक सुंदर वास्तु की रचना करता है लेकिन दुर्भाग्य है कि स्वयं इंसान और इंसान के द्वारा जिस भी चीज का निर्माण करता है वह स्थायी नहीं है। एक दिन यह सुंदर वास्तु रचना खंडहर में तब्दील हो जाता है लेकिन इस रचना का खंडहर भी एक कलात्मक रूप धारण किये हुए रहता है अपने समयानुसार। इस कलाकृति में माध्यम पेपर मैसी का प्रयोग एक कलात्मक रूप के साथ प्रकृति को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो इसका विशेष ध्यान रखा गया है।