भारत ने सोमवार को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई द्वारा भारतीय मुसलमानों के उत्पीड़न पर किए गए टिप्पणियों पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। खामेनेई ने अपने संदेश में भारतीय मुसलमानों के साथ-साथ गाज़ा और म्यांमार में मुसलमानों की पीड़ा का ज़िक्र किया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि इन टिप्पणियों में भ्रामक जानकारी दी गई है और यह अस्वीकार्य है।
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खामेनेई का बयान और भारतीय प्रतिक्रिया
ईरान के सुप्रीम लीडर ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर भारतीय मुसलमानों का उल्लेख करते हुए कहा कि मुसलमानों को उनकी साझा पहचान के प्रति सजग रहना चाहिए और भारत, म्यांमार और गाज़ा में हो रही पीड़ा को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बयान की निंदा की है और ईरान से यह सलाह दी है कि पहले अपने देश के रिकॉर्ड पर ध्यान दें।
अयातुल्ला अली खामेनेई: जीवन और कार्य
अयातुल्ला अली खामेनेई 17 जुलाई 1939 को ईरान के मशहद में जन्मे। वे ईरान के सुप्रीम लीडर हैं और 1989 से इस पद पर कार्यरत हैं। खामेनेई का धार्मिक शिक्षा का आरंभ मशहद में ही हुआ, जहां उन्होंने मदरसों से इस्लामिक शिक्षा ली। इसके बाद उन्होंने कोम में प्रमुख शिया विद्वानों के अधीन धार्मिक अध्ययन किया।
ईरानी क्रांति में भूमिका
1962 में खामेनेई ने ईरान के तत्कालीन शासक शाह मोहम्मद रजा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और 1979 की इस्लामिक क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस क्रांति के परिणामस्वरूप, ईरान के अंतिम शाह मोहम्मद रजा पहलवी को उखाड़ फेंका गया और ईरान में इस्लामिक शासन स्थापित हुआ।
राष्ट्रपति और सुप्रीम लीडर के रूप में
1981 में खामेनेई ईरान के राष्ट्रपति बने और उन्होंने लगातार दो कार्यकाल पूरे किए। उन्होंने ईरान-इराक युद्ध (1980-1988) के दौरान देश की रिकवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1989 में अयातुल्ला खुमैनी की मृत्यु के बाद, खामेनेई को ईरान का सुप्रीम लीडर नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए, वे सरकार, सेना और न्यायपालिका की सभी शाखाओं पर अंतिम अधिकार रखते हैं और सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ भी हैं।
इजरायल का समर्थन और खामेनेई की आलोचना
इजरायल ने भी इस मुद्दे पर भारत का समर्थन किया है। इजरायल के नए राजदूत रेउवेन अजार ने खामेनेई को उनकी टिप्पणी के लिए आलोचना की और ईरान को अपने लोगों की समस्याओं पर ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत और इजरायल में मुसलमान स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं, जो ईरान में उपलब्ध नहीं है।
भारत-ईरान संबंध और खामेनेई की रणनीति
भारत और ईरान के बीच सामान्यतः मजबूत संबंध हैं। भारत ने हाल ही में चाबहार पोर्ट के विकास के लिए ईरान के साथ 10 साल का अनुबंध किया है। हालांकि, खामेनेई का यह बयान भारत-ईरान संबंधों पर प्रश्न चिह्न लगा सकता है। इस बयान के पीछे ईरान का उद्देश्य विश्व भर के मुस्लिम देशों का समर्थन जुटाना हो सकता है, विशेषकर यदि वह न्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण करने की योजना बना रहा है।
अयातुल्लाह खामेनेई के बयान पर भारत की प्रतिक्रिया स्पष्ट है कि वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भारतीय आंतरिक मामलों में दखलंदाजी को अस्वीकार्य मानते हैं। यह स्थिति भारत और ईरान के संबंधों के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत करती है, और भविष्य में इन संबंधों की दिशा पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।