मध्यप्रदेश में I.N.D.I.A. गठबंधन का गठजोड़ टूट गया है। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा के रास्ते अलग-अलग हो गए हैं। दोनों ही पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारियों में जुट गई हैं। I.N.D.I.A. गठबंधन बनने के बाद दोनों पार्टियां वोटों का बंटवारा रोकने के लिए चुनावी समझौता करने की फिराक में थीं। लेकिन, दोनों के बीच चुनावी समझौते नहीं हुए और तल्खियां इतनी बढ़ गईं कि अखिलेश यादव से बात करने के लिए राहुल गांधी को फोन करना पड़ा।
I.N.D.I.A. गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए
सूत्रों के मुताबिक राहुल और अखिलेश की फोन पर हुई बात के बाद यह साफ हो गया है कि I.N.D.I.A. गठबंधन सिर्फ लोकसभा के चुनावों के लिए है न कि राज्यों के चुनावों के लिए। दोनों ही पार्टियां अब मध्यप्रदेश सहित अन्य किसी भी राज्यों के चुनावों में कोई भी गठबंधन करने की बात नहीं करेंगे। पांचों राज्य के चुनाव परिणामों के बाद जब देश में लोक सभा चुनावों की तैयारियां शुरू होंगी, तब कांग्रेस और सपा एक दूसरे से लोकसभा चुनावों के मुद्दों पर चर्चा करेंगी।
मप्र में 50 सीटों पर लड़ेगी सपा
सपा अब मध्यप्रदेश के चुनावों को लेकर गंभीर हो गई है। लगभग 33 ऐसी सीटें हैं जहां सपा ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार इस विवाद के बाद सपा अपने उम्मीदवारों की संख्या बढ़ा सकती है। 50 ऐसी सीटें हो सकती हैं जहां से सपा अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे। राजनीति के जानकार कहते हैं कि, सपा इतनी सीटों पर अपना प्रभाव नहीं रख सकती है। हांलाकि, इस विवाद के बाद सपा अपनी राजनीतिक ताकत ज़रुर दिखाना चाहेगी।
गठबंधन न हो पाने की वजह
मध्यप्रदेश के कांग्रेस प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और सपा नेता राम गोपाल वर्मा के बीच कई स्तर की बातचीत हुई और यह बातचीत कमलनाथ और दिग्विजिय सिंह तक भी पहुंची थी, लेकिन गठबंधन नहीं हो सका। सपा ने कांग्रेस से दस सीटें मांग थी। जहां सपा अपनी अच्छी पैठ रखती है। कमलनाथ और कांग्रेस के बीच यह तय हुआ था कि कुछ सीटें पर कांग्रेस के कुछ उम्मीदवार सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे लेकिन बाद में उन उम्मीदवारों ने सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया ।