देवरिया: प्रकृति ने हमें जीवन के लिए सभी आवश्यक साधन प्रदान किए हैं—स्वच्छ हवा, शुद्ध पानी, और हरित वनस्पतियाँ। हर पौधा न केवल जीवन का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे अस्तित्व का आधार भी है। पौधे लगाने का मतलब केवल एक बीज बोना नहीं, बल्कि नई आशा और जीवन की नींव रखना है। यही वजह है कि प्रकृति को हरा-भरा बनाए रखना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
हिमांशु मिश्रा, जिन्हें देवरिया में ग्रीन मैन के नाम से जाना जाता है, उन्होंने अपने जीवन को एक विशेष उद्देश्य के लिए समर्पित किया है—”हर रविवार पौधारोपण“। मूलतः उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले के बकुची गाँव से संबंध रखने वाले हिमांशु ने प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक का सफर तय किया और वर्तमान में श्री वेणी इंटर कॉलेज में शिक्षण का कार्य कर रहे हैं। वह न केवल एक समर्पित शिक्षक हैं, बल्कि प्रकृति के सच्चे संरक्षक भी हैं।
हिमांशु की पहचान सिर्फ एक शिक्षक तक सीमित नहीं है; बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो प्रकृति और समाज की भलाई में विश्वास रखते हैं। 2021 में उन्होंने अपने पौधारोपण अभियान की शुरुआत की, और आज उनके प्रयासों के फलस्वरूप हजारों पौधे लगाए जा चुके हैं। उनका अभियान लगातार लोगों को प्रकृति की सेवा के महत्व को समझा रहा है और उन्हें इस दिशा में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित कर रहा है।
शुरुआत: एक छोटे बीज से बड़ा सपना
14 मार्च 2021, यह एक तारीख है जो हिमांशु के जीवन में महत्वपूर्ण बन गई। इस दिन उन्होंने सिर्फ एक पौधा नहीं लगाया, बल्कि एक सपना रोपा—हर रविवार पौधारोपण का सपना। दीर्घेश्वरनाथ मंदिर की शांतिपूर्ण माहौल में, हिमांशु के मन में विचार आया कि जैसे मंदिर भगवान का निवास है, वैसे ही हर पौधा प्रकृति में एक जीवन का निवास है। उन्होंने पहले फलदार पौधे को मंदिर के पास लगाया और उसी दिन एक नई चेतना जाग उठी—प्रकृति की सेवा, भगवान की सेवा है।
प्रकृति का सन्देश: “मैं तुम्हारी हूँ”
हर बार जब हिमांशु उस पौधे के पास गए, उन्होंने महसूस किया कि प्रकृति उनसे संवाद कर रही है। पौधा जैसे कह रहा हो, “तुम्हारी देखभाल से मैं बड़ा होऊंगा, तुम्हे छांव दूंगा, तुम्हें फल दूंगा, और तुम्हें जीवन दूंगा।” यह एहसास हिमांशु को प्रेरित करता रहा, और हर रविवार उन्होंने एक नया पौधा लगाया। उस एक छोटे बीज से एक विशाल अभियान का जन्म हो गया।
एक अकेली सोच से जनांदोलन: 181 सप्ताह का अद्भुत सफर
आज 181 सप्ताह बीत चुके हैं, और यह सफर किसी चमत्कार से कम नहीं है। हिमांशु ने जब इस मुहिम की शुरुआत की तो उनके दो साथी पुनीत श्रीवास्तव और शैलेंद्र सिंह ने प्रकृति को स्वच्छ और हर-भरा बनाने की मुहिम में उनका साथ दिया और आजतक ये दोनों साथी उनके साथ कदम से कदम मिला कर प्रकृति को सजो रहे हैं। समय के साथ, इस संकल्प ने सैकड़ों लोगों को जोड़ लिया। यह यात्रा केवल पौधारोपण तक सीमित नहीं रही, बल्कि एक आंदोलन का रूप ले चुकी है। यह संदेश दे रही है कि अगर हम सब मिलकर प्रकृति की सेवा करें, तो पृथ्वी को हरा-भरा बना सकते है।
प्रकृति के संरक्षक: 8000 से अधिक पौधे और एक उम्मीद
अब तक, लगभग 8000 पौधे धरती की गोद में जगह पा चुके हैं। यह संख्या केवल आंकड़ा नहीं है, बल्कि एक उम्मीद का प्रतीक है। हर पौधा एक नई जिंदगी की शुरुआत है। आज इन पौधों में से लगभग 90% सुरक्षित हैं, जो यह दर्शाता है कि अगर हम कुछ बदलने की ठान लें, तो कुछ भी असंभव नहीं है। हर पौधा अपनी छांव, फल और हरी-भरी शाखाओं से उन सभी के लिए एक संदेश है—”तुम्हारी मेहनत रंग लाई”।
लक्ष्य: जब तक साँस, हर रविवार पौधारोपण
हिमांशु का यह अभियान एक अटूट संकल्प है। उनका लक्ष्य है कि जब तक जीवन है, तब तक हर रविवार पांच नए पौधे लगाये जाएंगे। यह एक नियमित गतिविधि नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ने का एक तरीका बन चुका है। उनका मानना है कि जैसे-जैसे हम प्रकृति से जुड़ते हैं, वैसे-वैसे हम खुद से भी जुड़ते जाते हैं।
प्रकृति से सच्चा प्रेम: हर पौधा एक उम्मीद की कहानी
जब भी हिमांशु और उनकी टीम पौधों को लगाती है, वह केवल बीज नहीं डालते। बल्कि, वहां एक उम्मीद, एक जीवन और एक नई शुरुआत के प्रतीक को लगाते हैं। हर पौधा कहता है, “मैं बड़ा होऊंगा, मैं धरती को हरा-भरा करूंगा, और आने वाली पीढ़ियों को जीवन दूंगा।” इसी सोच ने इस छोटे से अभियान को एक जनांदोलन में बदल दिया है।
समाज के प्रति योगदान: एक शिक्षक की पर्यावरण शिक्षा
हिमांशु ने जब पहला पौधा लगाया तब वह एक शिक्षार्थी थे और अब एक शिक्षक हैं, उन्होंने केवल कक्षा में ही नहीं, बल्कि समाज में भी शिक्षा दी है। पौधारोपण के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसका उद्देश्य प्रकृति और समाज की भलाई के लिए भी होना चाहिए। उनके छात्र, साथी और समाज के लोग उनके साथ मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।
टीम का विस्तार: सैकड़ों दिलों की धड़कन
आज, हिमांशु की टीम में 100 से अधिक लोग शामिल हैं, जो इस नेक काम को बढ़ावा दे रहे हैं। हर सदस्य का लक्ष्य हर रविवार 5 पौधे लगाना होता है। इसके साथ ही, जब कोई अन्य व्यक्ति किसी अन्य क्षेत्र या ज़िले से उनकी टीम से जुड़ता है, तो हिमांशु उनसे यही उम्मीद करते हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र में पौधे लगाकर प्रकृति को हरा-भरा बनाएं। यह केवल एक टीम नहीं, बल्कि दिलों की धड़कन है, जो हर रविवार को एक नए पौधे के साथ और मजबूत हो रही है। ये सभी लोग यह साबित कर रहे हैं कि जब हम एक साथ किसी उद्देश्य के लिए काम करते हैं, तो उसका असर पूरे समाज पर पड़ता है।
हिमांशु मिश्रा का हर रविवार पौधारोपण अभियान यह सिखाता है कि अगर हम चाहें, तो प्रकृति को पुनर्जीवित कर सकते हैं। यह केवल एक व्यक्ति का प्रयास नहीं है, बल्कि हर उस व्यक्ति का सपना है जो धरती को हरा-भरा देखना चाहता है। हम सभी को इस नेक काम से प्रेरणा लेकर अपनी-अपनी जगह पर छोटे-छोटे कदम उठाने चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ, सुंदर, और समृद्ध पर्यावरण मिल सके।