रेलवे बोर्ड विजिलेंस के कार्यकारी निदेशक की टीम पूर्वोत्तर रेलवे की स्टडी को और प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधन दफ्तर में जमी हुई है। वह खरीद फरोख्त से संबंधित सवालों के जांच कर रहे हैं। टीम सोमवार से ही पूर्वोत्तर रेलवे की स्टोर डिपो पीसीएमएम ऑफिस में डाटा खंगालने में जमी हुई है, विजिलेंस की टीम जेम पोर्टल पर पंजीकृत फर्मों का भी ब्योरा जांच रही है। ट्रेन में संबंधित अधिकारियों से पूछताछ और उनका बयान लेने के बाद सूक्ति एसोसिएट सहित तीन फर्मों की फाइलों को जब्त किया है।
सीबीआई ने PCMM जोशी को रिश्वत लेते किया था गिरफ्तार
विजिलेंस की टीम स्टोर डिपो के गेट रिकॉर्ड की जांच भी कर रही है। टीम ने गेट के रजिस्टर से फाइलों का मिलान कर रही है। पीसीएमएम केसी जोशी को सीबीआई ने 3 लाख रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। अभी वह जेल में है, जिसके बाद से सीबीआई के साथ-साथ विजिलेंस ने भी स्टोर डिपो व पीसीएमएम दफ्तर के फाइलों को खंगालना शुरू किया। फिलहाल कई और नाम सामने आ रहे हैं, जानकारों का कहना है कि पूर्वोत्तर रेलवे के सामान की खरीद व बिक्री मामले में शामिल कई अधिकारी नप सकते हैं। पीसीएमएम के सी जोशी के पहले विजिलेंस की टीम के जांच पर खामियां मिलने पर स्टोर डिपो के उपमुख्य प्रबंधक ऋतु राज का दूसरे जोन में ट्रांसफर हो गया है। स्टोर डिपो और पीसीएमएम दफ्तर में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश 2023 की शुरुआत में ही हो गया था। जब स्टोर डिपो में जेम पोर्टल पर सामान की खरीद व बिक्री तथा स्थानीय खरीद में अनियमितता, रेलवे के वाहनों व उपकरणों के नाम पर हेरा फेरी की शिकायत विजिलेंस तक पहुंची थी। जिसके बाद विजिलेंस की टीम गोरखपुर पहुंचकर दोनों जगहों की जांच पड़ताल की और जरूर दस्तावेजों को अपने साथ ले गई थी।
23 मार्च को हुई थी पहली छापेमारी
आरोप था कि स्टोर डिपो में किसी विशेष एजेंसी को लाभ पहुंचाया जा रहा है। कोविड काल के समय में भी एक ही एजेंसी से दवाई व उपकरणों की खरीद की गई थी। जिसके बाद 23 मार्च को गोरखपुर स्थित स्टोर डीपो में विजिलेंस की टीम ने छापेमारी की थी, टीम ने लगातार दो दिनों तक जांच पड़ताल की जिसमें सामान की खरीद में अनियमितता का मामला सामने आया। एक ही एजेंसी से 77 तरह के सामान की खरीद की गई थी। रेलवे के अधिकारियों के लिए उपलब्ध गाड़ियों में खामिया सामने आया था। एजेंसी से नामित चालक, अधिकारियों के बंगले पर कार्य करते पाया गया और रेलवे के चालक एजेंसी के वाहन चला रहे थे। रेलवे की एक बड़ी क्रेन को निष्प्रयोज्य बताकर उसे कंडम घोषित कर दिया गया और प्राइवेट क्रेन को कार्य के लिए लगाया गया था। इतना ही नहीं, बल्कि इस जांच में यह भी सामने आया कि स्टोर डिपो के सीसी टीवी कैमरे में पिछले 6 माह से रिकॉर्डिंग ही नहीं हो रही थी।