गाजीपुर न्यूज़, गाजीपुर के शादियाबाद क्षेत्र में बेसो नदी पर बना एक अधूरा पुल पिछले 10 साल से हवा में झूल रहा है। सराय सदकर गांव के पास स्थित यह पुल तत्कालीन समाजवादी पार्टी के विधायक सुब्बा राम द्वारा शिलान्यास किया गया था। पुल का निर्माण तो शुरू हुआ, लेकिन यह आज तक पूरा नहीं हो सका।
पुल निर्माण की अधूरी कहानी
सपा सरकार के कार्यकाल में स्थानीय लोगों की आवागमन की समस्या को हल करने के लिए बेसो नदी पर इस पुल का निर्माण शुरू किया गया। करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाला यह पुल लगभग तैयार हो गया था, लेकिन 2017 में सरकार बदलने के बाद इसका निर्माण कार्य रुक गया। जिसके बाद से यह पुल अधूरा और उपयोग के लिए अनुपलब्ध है।
लकड़ी की सीढ़ी से हो रहा आवागमन
नदी में पानी कम होने पर लोग उसे पार कर जाते हैं, लेकिन पानी अधिक होने पर ग्रामीणों को लकड़ी की सीढ़ियों का सहारा लेना पड़ता है। पुल पर चढ़ने और उतरने के लिए दोनों तरफ लकड़ी की सीढ़ियां लगाई गई हैं, जिससे आवागमन बेहद मुश्किल और जोखिमभरा हो गया है।
ग्रामीणों का दर्द: मुआवजा भी नहीं मिला
सराय सदकर गांव के ग्रामीणों का कहना है कि पुल निर्माण के लिए उनकी जमीनें ली गईं, लेकिन आज तक उन्हें मुआवज़ा नहीं दिया गया। इसके विरोध में ग्रामीणों ने पुल निर्माण रुकवा दिया था। अब तक न तो प्रशासन ने उनकी समस्याओं का समाधान किया और न ही पुल का निर्माण पूरा हुआ।
दूसरे पुल का हाल भी बेहाल
गाजीपुर के मरदह क्षेत्र के कोर गांव और मऊ के गजेंद्रपुर गांव को जोड़ने वाले भैसही नदी पर 12 साल पहले एक और पुल निर्माण की शुरुआत हुई थी। यह पुल भी अधूरा है। गाजीपुर की ओर का अप्रोच रोड अधूरा है, जबकि मऊ की ओर का अप्रोच रोड बना ही नहीं।
समस्या बनी हुई है, समाधान नहीं
ग्रामीणों का कहना है कि अधूरे पुल और खराब संपर्क मार्गों की वजह से आवागमन मुश्किल हो गया है। कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सम्पर्क मार्ग बने तो मिलेगी राहत
बेसो नदी और भैसही नदी पर बने पुलों का निर्माण कार्य अगर पूरा कर दिया जाए, तो आसपास के कई गांवों के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। इससे समय और श्रम की बचत होगी, और आवागमन सुगम हो सकेगा।