गाजीपुर, जनपद में न्यायिक प्रक्रिया को डिजिटल और तेज बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। अब पुलिसकर्मी, डॉक्टर और अन्य सरकारी गवाहों को कोर्ट में गवाही देने के लिए बार-बार संबंधित जनपद में नहीं जाना पड़ेगा। इसके लिए पुलिस अधीक्षक कार्यालय गाजीपुर के परिसर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष का निर्माण किया गया है।
संयुक्त निदेशक अभियोजन कार्यालय, जनपद गाजीपुर द्वारा निर्मित इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष का उद्घाटन आज जिला एवं सत्र न्यायाधीश गाजीपुर धर्मेंद्र कुमार पांडे ने किया। इस शुभ अवसर पर जिलाधिकारी आर्यका अखौरी और पुलिस अधीक्षक डॉ. ईरज राजा भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति में मौजूद रहे।
इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष के शुरू हो जाने से अब गाजीपुर के पुलिसकर्मी और अन्य सरकारी कर्मचारी अपने कार्यस्थल से ही गवाही दे सकेंगे। उन्हें अब गवाही के लिए गैर-जनपद जाने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। इस पहल से न केवल समय और संसाधनों की बचत होगी, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया भी तेज होगी और लंबित मुकदमों का त्वरित निस्तारण संभव हो सकेगा।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष: क्या है खासियत?
गाजीपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में स्थापित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष आधुनिक तकनीक से लैस है। यह कक्ष विशेष रूप से सरकारी गवाहों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। पुलिसकर्मी, डॉक्टर और अन्य सरकारी कर्मचारी, जो किसी भी आपराधिक मामले में गवाह होते हैं, उन्हें अब बार-बार कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी। वे इसी कक्ष से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी गवाही दर्ज करा सकेंगे।
इस सुविधा से गवाहों को अपने कामकाज से समय निकालकर कोर्ट आने-जाने में लगने वाले समय और खर्च की बचत होगी। साथ ही, कोर्ट में लंबित मामलों का निस्तारण भी तेजी से हो सकेगा।
जनपद न्यायाधीश का बयान: “समय और संसाधनों की बचत होगी”
उद्घाटन के दौरान जनपद न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार पांडे ने कहा, “इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा से पुलिसकर्मी और अन्य सरकारी कर्मचारी जिनकी कोर्ट में गवाही जरूरी होती है, अब अपने तैनाती वाले जनपद से ही गवाही दे सकेंगे। इससे समय और संसाधनों की बचत होगी। यह कदम न्याय प्रक्रिया को तेज और सरल बनाने में बेहद मददगार साबित होगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि गवाही देने वाले गवाह की पहचान एक अभियोजन पक्ष के वकील द्वारा की जाएगी। इसके बाद गवाही सीधे कोर्ट में वीडियो लिंक के जरिए दर्ज की जाएगी।
पुलिस अधीक्षक डॉ. रज राजा का बयान: “ट्रायल प्रक्रिया होगी तेज”
गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक डॉ. ईरज राजा ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह कक्ष न सिर्फ गवाहों के लिए बल्कि न्याय प्रक्रिया को भी तेज करने का एक बड़ा माध्यम बनेगा। उन्होंने कहा, “अक्सर सरकारी गवाहों को अपने कामकाज के दौरान बार-बार कोर्ट में पेश होना पड़ता था। इससे न सिर्फ उनका समय बर्बाद होता था बल्कि कोर्ट की कार्यवाही भी देरी से पूरी होती थी। अब इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष के माध्यम से यह समस्या हल हो जाएगी।”
उन्होंने आगे बताया कि कक्ष में दो सेटअप बनाए गए हैं और भविष्य में जरूरत के हिसाब से इसे और विस्तार दिया जाएगा।
यूपी सरकार की डिजिटल पहल
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2010 में न्यायिक प्रक्रिया को डिजिटल रूप देने की योजना बनाई थी। इसके तहत वर्ष 2020 में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग संचालन की नियमावली स्थापित की गई।
इस नियमावली का मुख्य उद्देश्य है:
- न्यायिक प्रक्रिया को तेज करना।
- पीड़ित पक्ष को त्वरित न्याय दिलाना।
- सरकारी गवाहों के समय और संसाधनों की बचत करना।
संयुक्त निदेशक अभियोजन आनंद कुमार पांडे ने बताया कि यह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष शासन की मंशा को साकार करने में अहम भूमिका निभाएगा। इसके माध्यम से पीड़ित पक्ष को त्वरित न्याय दिलाने की प्रक्रिया को मजबूत किया जाएगा।
उद्घाटन समारोह में मौजूद गणमान्य व्यक्ति
उद्घाटन समारोह में कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारी उपस्थित रहे। इस ऐतिहासिक अवसर पर अशक्ति सिंह (अपर जिला जज), स्वप्न आनंद (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गाजीपुर), सुधाकर पांडे (क्षेत्राधिकारी नगर), अतुल कुमार सोनकर (पुलिस अधीक्षक ग्रामीण), ज्ञानेन्द्र नाथ प्रसाद (पुलिस अधीक्षक नगर) और कृपा शंकर राय (डीजीसी फौजदारी) की उपस्थिति रही। इनके अलावा आनंद कुमार पांडे (संयुक्त निदेशक अभियोजन), अजीत कुमार (नोडल अधिकारी/सहायक अभियोजन अधिकारी), अभियोजन अधिकारी देवेंद्र कुमार सिंह, शालिनी सक्सेना और अरुण कुमार सिंह भी मौजूद थे।
उद्घाटन के दौरान सहायक अभियोजन अधिकारी राज विजय सिंह, रणधीर सरोज, और पुष्पांजली मिश्रा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस अवसर पर भारी संख्या में पुलिस बल के साथ-साथ अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद थे, जिन्होंने इस नई पहल को सफल बनाने के लिए अपना सहयोग और समर्थन दिया।
सरकारी गवाहों को क्या लाभ मिलेगा?
इस नई सुविधा के लागू होने से सरकारी गवाहों को कई बड़े फायदे होंगे:
- समय की बचत: गवाहों को अब बार-बार कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी।
- यातायात खर्च की बचत: यात्रा में लगने वाले खर्च और परेशानी से राहत मिलेगी।
- तेज न्याय प्रक्रिया: लंबित मामलों के निपटारे में तेजी आएगी।
- डिजिटल कनेक्टिविटी: कोर्ट और गवाहों के बीच डिजिटल माध्यम से जुड़ने का एक नया मंच मिलेगा।
नए कानून के तहत लागू हुई सुविधा
इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा को सरकार द्वारा तीन वर्ष पहले लाए गए एक नए अधिनियम के तहत स्थापित किया गया है। इस अधिनियम का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाना है।
गाजीपुर जिला प्रशासन का मानना है कि इस पहल से न्यायिक प्रक्रिया में सुधार आएगा। पुलिसकर्मी, डॉक्टर और अन्य सरकारी गवाह जो अलग-अलग जनपदों में तैनात होते हैं, उन्हें अब कोर्ट में पेश होने के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। वे अपने कार्यस्थल से ही गवाही दे सकेंगे, जिससे कोर्ट का कामकाज भी तेजी से होगा।