Deoria News: हरिद्वार से पंजाब तक के पहलवानों ने दिखाया दम, देवरिया में कुश्ती का महामुकाबला!

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देवरिया न्यूज़,  स्वर्गीय नरसिंह खेलावन दुबे की पुण्य स्मृति में काली मां सेवा संस्थान द्वारा भव्य कुश्ती दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह आयोजन ग्राम जगन चक में हुआ, जिसमें देशभर से नामी पहलवानों ने अपनी कुश्ती कला का प्रदर्शन किया। कुश्ती प्रेमियों के लिए यह एक अविस्मरणीय अवसर था, जहां उन्होंने शानदार मुकाबलों का लुत्फ उठाया और पहलवानों के दमखम को करीब से देखा।

इस विराट दंगल में हजारों दर्शक मौजूद रहे, जिन्होंने अपने चहेते पहलवानों का जोश और उत्साह के साथ समर्थन किया। कुश्ती के इस ऐतिहासिक आयोजन ने खेल प्रेमियों को रोमांच से भर दिया, जहां हर दांव-पेंच पर दर्शकों की तालियां गूंज उठीं।

प्रतियोगिता का भव्य उद्घाटन

इस कुश्ती दंगल प्रतियोगिता का उद्घाटन प्रसिद्ध पहलवान हरिश्चंद्र सिंह ने किया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कुश्ती के महत्व और युवा पीढ़ी के लिए इस खेल के लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पहलवानों को कड़ी मेहनत और अनुशासन का पालन करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम में उपस्थित दर्शकों और प्रतिभागियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने आयोजन समिति के प्रयासों की सराहना की और ऐसे आयोजनों को निरंतर बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता अमित ओमप्रकाश दुबे (आयोजक) ने की। उन्होंने इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में जुटे सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया। इस विशेष अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पहलवान केशव सिंह, प्रसिद्ध पहलवान सनी राज सिंह, और कुश्ती संघ देवरिया के अध्यक्ष सूरज सिंह सेंगर भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इन सम्मानित हस्तियों ने प्रतियोगिता को प्रोत्साहित किया और युवा पहलवानों के हौसले को बढ़ाया। उनकी मौजूदगी से यह प्रतियोगिता और अधिक प्रेरणादायक बन गई।

प्रतियोगिता का संचालन और सहयोगी टीम

दंगल प्रतियोगिता के सफल संचालन में भरत भूषण दुबे ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पूरे आयोजन को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए हर संभव प्रयास किया। उनके समर्पण और योजनाबद्ध कार्यशैली के कारण प्रतियोगिता बिना किसी व्यवधान के संपन्न हुई। इसके अलावा, ग्राम प्रधान इंद्रजीत यादव ने भी आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी सक्रिय भागीदारी और सहयोग से कार्यक्रम को भव्य रूप देने में मदद मिली।

प्रतियोगिता के आयोजन में विष्णु पांडे, सचिन कुमार पांडे, जयराम दुबे, अनुज ओमप्रकाश दुबे, उत्कर्ष दुबे, मनीष दुबे, राहुल दुबे, हरकेश दुबे, उज्ज्वल दुबे, अनिल दुबे, विनोद दुबे, मुकुल पांडे और सचिन कुमार पांडे ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई। सभी ने अपने-अपने स्तर पर दंगल के सफल आयोजन के लिए भरपूर सहयोग दिया। उनकी मेहनत और समर्पण ने इस प्रतियोगिता को ऐतिहासिक बना दिया, जिसे दर्शकों ने भरपूर सराहा।

देशभर से आए पहलवानों ने दिखाया जोर

इस प्रतियोगिता में देशभर से आए प्रतिष्ठित और अनुभवी पहलवानों ने भाग लिया, जिन्होंने अपने अद्भुत कुश्ती कौशल और ताकत का शानदार प्रदर्शन किया। हरिद्वार से बाबा फकीरी दास, पंजाब से मुन्ना टाइगर, देवरिया से सरफराज पहलवान, गोंडा से सरवन पहलवान, नेपाल से उपेंद्र थापा, बरौनी से छोटू पहलवान, और दिल्ली से हलचल पहलवान ने अपने-अपने मुकाबलों में जबरदस्त दमखम दिखाया। इन पहलवानों ने अपनी बेहतरीन तकनीकों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और कुश्ती प्रेमियों को एक रोमांचक अनुभव प्रदान किया।

इसके अलावा, गोपालगंज से भगवान पहलवान, गोरखपुर से विकास पहलवान और आकाश पहलवान, मेरठ से गोलू पहलवान, देवरिया से मदन पहलवान और पंकज गुप्ता पहलवान, अनुज दुबे पहलवान, अनूप दुबे पहलवान, उत्तराखंड, हरिद्वार से संजय पहलवान ने भी शानदार प्रदर्शन किया। इन पहलवानों ने अपने-अपने मुकाबलों में ताकत, तकनीक और कुश्ती कला का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया, जिससे दर्शक जोश और उत्साह से भर गए। प्रत्येक पहलवान ने अपनी कुश्ती कला से प्रतियोगिता को और भी रोमांचक बना दिया, जिससे यह दंगल ऐतिहासिक बन गया।

दंगल में हुआ कड़ा मुकाबला

इस कुश्ती दंगल में देशभर से आए पहलवानों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिली। हर पहलवान ने अपनी पूरी ताकत, अद्भुत कुश्ती कौशल और बेहतरीन तकनीक का प्रदर्शन किया। मुकाबले की शुरुआत से ही पहलवानों के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली, जहां हर पहलवान ने अपनी कुश्ती कला का लोहा मनवाने के लिए भरसक प्रयास किया। कुश्ती प्रेमियों ने अपने पसंदीदा पहलवानों का हौसला बढ़ाने के लिए जोरदार तालियां बजाईं और जयकारे लगाए, जिससे माहौल पूरी तरह से जोश और उमंग से भर गया।

इस आयोजन के दौरान कई मुकाबले ऐसे भी रहे, जहां पहलवानों ने अंतिम क्षण तक हार नहीं मानी और पूरी ऊर्जा के साथ अखाड़े में डटे रहे। कुछ मुकाबले इतने रोमांचक थे कि दर्शकों की सांसें थम गईं और हर दांव-पेंच के साथ वे और अधिक उत्साहित हो गए। मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि ने भी इन रोमांचक मुकाबलों की सराहना की। पहलवानों के संघर्ष और जुनून को देखकर उपस्थित गणमान्य लोग भी उनकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सके।

पहलवानों का दमखम और रोमांचक मुकाबले

दंगल के दौरान एक के बाद एक जबरदस्त मुकाबले देखने को मिले, जहां देशभर से आए नामी पहलवानों ने अपनी पूरी ताकत और कौशल का प्रदर्शन किया। हर एक मुकाबला रोमांच से भरपूर था, जिसमें पहलवानों ने अपनी कुश्ती कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उत्तराखंड, हरिद्वार के बाबा फकीर दास ने अपने जबरदस्त दांव-पेंच से विरोधियों को परास्त कर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। उनकी कुश्ती शैली ने उपस्थित लोगों को रोमांचित कर दिया और पूरा मैदान तालियों से गूंज उठा।

इसी तरह, पंजाब के मुन्ना टाइगर, देवरिया के सरफराज पहलवान, बरौनी के छोटू पहलवान, और गोपालगंज के भगवान पहलवान ने भी जबरदस्त शक्ति और तकनीक का परिचय देते हुए शानदार मुकाबले लड़े। इन पहलवानों की फुर्ती, संतुलन और रणनीति ने लोगों को कुश्ती के स्वर्णिम युग की याद दिला दी। प्रत्येक मुकाबले के दौरान पहलवानों की ऊर्जा और कौशल ने यह साबित कर दिया कि कुश्ती न केवल एक खेल है, बल्कि यह परंपरा, संस्कृति और सम्मान का प्रतीक भी है।

दर्शकों का जबरदस्त उत्साह

प्रतियोगिता के दौरान दर्शकों का जोश देखने लायक था। लोग बड़ी संख्या में जुटे और हर दांव-पेंच पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। दर्शकों ने अपनी पसंदीदा कुश्ती भिड़ंत के दौरान पहलवानों की हौसला-अफजाई की। मैदान के चारों ओर से जयकारों की गूंज उठी, जिससे माहौल और भी रोमांचक बन गया।

इस आयोजन को देखने के लिए आसपास के गांवों और शहरों से खेल प्रेमी पहुंचे थे। कुश्ती के प्रति उत्साह इतना था कि हर मुकाबले में दर्शकों की रुचि बनी रही। खास तौर पर उपस्थित विशिष्ट अतिथियों ने पहलवानों के शानदार प्रदर्शन की प्रशंसा की और उन्हें बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य

इस आयोजन का मूल उद्देश्य स्वर्गीय नरसिंह खेलावन दुबे के अद्वितीय योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना था। यह दंगल न केवल उनकी स्मृति को जीवंत रखने के लिए आयोजित किया गया, बल्कि क्षेत्रीय खेल संस्कृति को आगे बढ़ाने का भी एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा। इस प्रतियोगिता ने खेल प्रेमियों को एक मंच प्रदान किया, जहां वे पारंपरिक कुश्ती के महत्व को समझ सकें और इस खेल के प्रति अपनी रुचि को और अधिक बढ़ा सकें। ऐसे आयोजन समाज में खेल भावना को मजबूत करने और आने वाली पीढ़ी को इस ऐतिहासिक परंपरा से जोड़ने में सहायक होते हैं।

इसके अलावा, इस प्रतियोगिता का उद्देश्य युवा पहलवानों को अपने कौशल का प्रदर्शन करने और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना भी था। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं होती, लेकिन उचित मार्गदर्शन और मंच के अभाव में कई युवा खिलाड़ी अपनी क्षमता को साबित करने से वंचित रह जाते हैं। इस दंगल के जरिए न सिर्फ क्षेत्रीय प्रतिभाओं को निखरने का अवसर मिला, बल्कि कुश्ती के गौरवशाली इतिहास को भी जीवंत किया गया। भारतीय खेल परंपरा की यह विरासत आने वाले वर्षों तक मजबूत बनी रहे, इसके लिए ऐसे आयोजनों की निरंतरता आवश्यक है।

आयोजन समिति और उनका योगदान

काली मां सेवा संस्थान ने इस ऐतिहासिक आयोजन को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया। इस भव्य प्रतियोगिता की तैयारी कई दिनों पहले ही शुरू कर दी गई थी, ताकि कार्यक्रम में किसी भी तरह की कमी न रहे। आयोजन समिति के सभी सदस्यों ने पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ अपनी जिम्मेदारियों को निभाया। कुश्ती प्रेमियों और क्षेत्रीय नागरिकों के सहयोग से यह दंगल न केवल खेल का मंच बना, बल्कि भारतीय परंपरा और संस्कृति को सहेजने का माध्यम भी साबित हुआ।

इस दंगल को सफल बनाने में दुबे स्टेट परिवार जगनचक की अहम भूमिका रही, जिन्होंने इस प्रतियोगिता को भव्य स्वरूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। क्षेत्र के सम्मानित व्यक्तियों, समाजसेवियों और खेल प्रेमियों ने इसमें विशेष रुचि दिखाई, जिससे आयोजन को और अधिक गौरवमयी बना दिया गया। इस पहल ने युवाओं को पारंपरिक खेलों की ओर आकर्षित करने और उन्हें शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रखा।

-अमित मणि त्रिपाठी