देवरिया न्यूज़, ओला के संस्थापक भाविश अग्रवाल ने सोमवार को देवरिया में स्थानीय उद्यमियों से मुलाकात की और उन्हें व्यवसाय में सफलता के अहम मंत्र बताए। उन्होंने कहा कि किसी भी काम को करने की गुणवत्ता जापान जैसी होनी चाहिए, लेकिन लागत चीन से भी कम आनी चाहिए। जब भी सोचो, बड़ा सोचो और आने वाले 20 वर्षों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ो। यदि आपमें मेहनत और लगन है तो निवेशक खुद आपके पास आएंगे।
देवरिया आगमन और जागृति उद्यम केंद्र में संवाद
सांसद शशांक मणि के विशेष अनुरोध पर भाविश अग्रवाल सोमवार को एक दिवसीय दौरे पर देवरिया पहुंचे। उनका हेलीकॉप्टर दोपहर करीब एक बजे पुलिस लाइंस में उतरा, जहां सांसद शशांक मणि के साथ स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और जागृति उद्यम केंद्र के सदस्यों ने उनका स्वागत किया।
इसके बाद वह बरपार स्थित जागृति उद्यम केंद्र पहुंचे, जहां स्थानीय उद्यमियों और जागृति टीम से संवाद हुआ। उद्यम केंद्र में सीईओ आशुतोष कुमार ने उन्हें जागृति के मिशन और विजन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहां उपस्थित उद्यमियों को संबोधित करते हुए उन्होंने नए स्टार्टअप्स, निवेश अवसरों और बाजार में सफल होने की रणनीतियों पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं।
बड़े लक्ष्य, बड़ी सोच और कड़ी मेहनत से ही मिलेगी सफलता
भाविश अग्रवाल ने सभा में मौजूद उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी क्षेत्र में सफलता का मूल मंत्र बड़ा लक्ष्य और बड़ी सोच होती है। अगर किसी का लक्ष्य बड़ा है, तो उसे पाने के लिए मेहनत भी उसी स्तर की करनी होगी। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि “अगर आप अपने भविष्य को सुरक्षित और सफल बनाना चाहते हैं, तो आज से ही मेहनत और अनुशासन को अपना हथियार बना लें।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक एक-दो पीढ़ियां पूरी तपस्या और समर्पण के साथ काम नहीं करेंगी, तब तक भारत को एक सशक्त और विकसित राष्ट्र नहीं बनाया जा सकता।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है और पूरी दुनिया अब भारत की ओर देख रही है। भारतीय युवाओं में असीम ऊर्जा है, जो उन्हें किसी भी लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम बनाती है। उन्होंने उद्यमियों को सलाह दी कि वे अपने प्रयासों में निरंतरता बनाए रखें, नई तकनीकों को अपनाएं और बड़े उद्देश्यों को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति बनाएं।
बरगद वृक्ष के नीचे ध्यान, आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव
300 साल पुराने बरगद वृक्ष की महत्ता को समझते हुए भाविश अग्रवाल ने वहां कुछ देर तक ध्यान किया। उन्होंने कहा कि सफलता के लिए केवल मेहनत ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन भी जरूरी होता है। ध्यान के माध्यम से विचारों को स्पष्ट किया जा सकता है और इससे निर्णय लेने की क्षमता भी मजबूत होती है। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि जो व्यक्ति आंतरिक रूप से संतुलित होता है, वही चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि बरगद का वृक्ष सिर्फ एक पेड़ नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। इस प्रकार के प्राकृतिक स्थलों पर ध्यान करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे कार्यक्षमता और सोचने की शक्ति बढ़ती है। उन्होंने उद्यमियों को सलाह दी कि वे अपने जीवन में आध्यात्मिकता को भी महत्व दें और मानसिक शांति बनाए रखें, ताकि वे अपने लक्ष्यों को और भी प्रभावी तरीके से प्राप्त कर सकें।
संस्कृत भाषा के उत्थान पर जोर
इसके बाद राधा कृष्ण संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित संस्कृत विकास परिषद की गोष्ठी में भाविश अग्रवाल ने संस्कृत भाषा के महत्व पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि “संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की प्राचीन संस्कृति और ज्ञान की आधारशिला है। यह सभी भाषाओं की जननी है और इसके संरक्षण और प्रचार-प्रसार की अत्यंत आवश्यकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से संस्कृत को एक नई ऊंचाई तक ले जाया जा सकता है। अगर इसे डिजिटल प्लेटफार्मों पर अधिक प्रचारित किया जाए, तो आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिल सकता है। उन्होंने संस्कृत को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में अनिवार्य रूप से पढ़ाने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि इसके पुनरुत्थान के लिए सरकार और समाज, दोनों को मिलकर प्रयास करने होंगे।
इस अवसर पर जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने भी संस्कृत भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए इसे आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करने वाली भाषा बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत न केवल धार्मिक ग्रंथों की भाषा है, बल्कि यह विज्ञान, गणित और दर्शन का भी आधार रही है। संस्कृत विकास परिषद के सचिव प्रभाकर तिवारी ने इस आयोजन में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि ऐसे प्रयासों से संस्कृत भाषा को नए युग में पुनर्जीवित किया जा सकता है। इस गोष्ठी में संस्कृत विद्वानों, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भी अपने विचार साझा किए और इस महान भाषा के उत्थान के लिए मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया।
उद्यमियों के लिए अग्रवाल के सुझाव
- क्वालिटी का रखें ध्यान: व्यवसाय में सफलता के लिए गुणवत्ता सर्वोपरि होनी चाहिए।
- लागत नियंत्रण: उत्पादन की लागत को चीन से भी कम रखने का प्रयास करें।
- भविष्य की सोच: छोटे लक्ष्य नहीं, बल्कि अगले 20 वर्षों को ध्यान में रखकर रणनीति बनाएं।
- निवेशक खुद आएंगे: यदि आपकी योजना और मेहनत सटीक होगी, तो इनवेस्टमेंट खुद आपके पास आएगा।
- टेक्नोलॉजी अपनाएं: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी नई तकनीकों का उपयोग करें और डिजिटल युग में प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ें।
गोष्ठी में शामिल गणमान्य लोग
इस कार्यक्रम में देवरिया के सीडीओ प्रत्युष पांडेय, कुशीनगर की सीडीओ गुंजन द्विवेदी, विश्वास पांडेय, बरगद अमृत संगठन के सह-संस्थापक मुकेश सिंह, अजय शाही, डॉ. हेमंत मिश्रा, मारकंडे शाही, सुधीर चौरसिया, अखिलेश त्रिपाठी, कृष्ण नाथ राय, प्रधानाचार्य वीरभद्र दुबे, फणींद्र मणि त्रिपाठी, अशोक मणि, रमेश वर्मा, दुर्गेश नाथ त्रिपाठी, संजय तिवारी, दिवाकर मिश्रा, निर्मला गौतम, प्रमोद शाही, रविंद्र कौशल और कमलेश मिश्रा सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
देवरही मंदिर में पूजा-अर्चना
देवरिया दौरे के दौरान भाविश अग्रवाल सपरिवार देवरही मंदिर भी पहुंचे, जहां उन्होंने विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और भगवान का आशीर्वाद लिया। मंदिर परिसर में उन्होंने कुछ समय व्यतीत किया और धार्मिक वातावरण का अनुभव किया। श्रद्धालुओं और पुजारियों से बातचीत करते हुए उन्होंने मंदिर की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता के बारे में जानकारी प्राप्त की। स्थानीय भक्तों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और उनके आगमन को मंदिर के लिए शुभ संकेत माना। भाविश अग्रवाल ने मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान की स्तुति की और देश की उन्नति एवं समृद्धि की कामना की। उनके परिवार के सदस्यों ने भी विधिपूर्वक पूजा संपन्न की और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव किया।
-अमित मणि त्रिपाठी