Deoria News: अभिषेक पांडेय ‘रूपक’ की पहल से देवरिया में तीरंदाजी का पुनर्जागरण

Share This

देवरिया, जिले के बतरौली पाण्डेय गांव में स्थित एस.के.डी. विद्यालय में जिला तीरंदाजी संघ के प्रयासों से निशुल्क तीरंदाजी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक खेल को जिले में बढ़ावा देने और युवाओं को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। शिविर का उद्घाटन तीरंदाजी महासचिव अभिषेक पाण्डेय “रूपक” ने किया।

प्राचीन खेल को पुनर्जीवित करने का प्रयास

भारत के प्राचीन और ऐतिहासिक खेलों में से एक, तीरंदाजी को आगे बढ़ाने के लिए जिला तीरंदाजी संघ ने यह अनूठा कदम उठाया है। इस शिविर में युवाओं को भारतीय तीरंदाजी संघ से मान्यता प्राप्त कोच के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। शिविर का उद्देश्य है कि प्रशिक्षित युवा जिला और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लें और सिल्वर व गोल्ड मेडल जीतकर देश और जिले का नाम रोशन करें।

महासचिव अभिषेक पाण्डेय “रूपक” का प्रोत्साहन

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए अभिषेक पाण्डेय “रूपक” ने युवाओं को प्रोत्साहित किया और कहा, “यह खेल मेरे दिल के बेहद करीब है। आप सभी पूरी मेहनत और लगन से प्रशिक्षण लें। जिला और राज्य स्तर पर अपने हुनर का प्रदर्शन करें।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यह शिविर युवाओं को न केवल प्रशिक्षण देगा, बल्कि भविष्य में तीरंदाजी से जुड़ी हर सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करेगा। शिविर के माध्यम से युवाओं को न केवल एक खेल के प्रति जागरूक किया जा रहा है, बल्कि उन्हें एक बेहतर भविष्य की ओर भी अग्रसर किया जा रहा है।

26जनवरी, गणतंत्र दिवस, अनिल कुमार पांडेय विज्ञापन, 26जनवरी विज्ञापन
विज्ञापन

तीरंदाजी के विभिन्न राउंड का प्रशिक्षण

शिविर में इंडियन, रिकर्व और कंपाउंड राउंड का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इस केंद्र पर सैकड़ों युवाओं ने पंजीकरण कर अपनी रुचि दिखाई। प्रशिक्षक ने बताया कि यह कला केवल खेल नहीं है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा भी है।

युवाओं में खुशी और उत्साह

शिविर में भाग लेने वाले युवाओं ने तीरंदाजी प्रशिक्षण के साथ पढ़ाई को संतुलित करते हुए अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह शिविर उन्हें नई दिशा देने और उनके भविष्य को निखारने का एक अनूठा अवसर प्रदान कर रहा है।

तीरंदाजी की सांस्कृतिक महत्ता

उत्तर प्रदेश तीरंदाजी संघ से आए कोच ने बताया कि तीरंदाजी भारत की प्राचीन कला है। यह न केवल खेल है, बल्कि इसे शाही कला के रूप में सदियों से मान्यता दी गई है। उन्होंने कहा, “भारत के महान राजा और शासक तीरंदाजी में कुशल थे। इस कला ने उन्हें एक महान नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया।”

युवाओं को मिलेगा सुनहरा भविष्य

शिविर का उद्देश्य न केवल खेल को बढ़ावा देना है, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करना है। भारतीय तीरंदाजी संघ से मान्यता प्राप्त कोच के मार्गदर्शन में युवाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया जाएगा।