इजरायल पर शनिवार तड़के गाजा पट्टी से आतंकी संगठन हमास ने हजारों रॉकेट दागे गए जिसमें अबतक 22 लोगों की मौत हो चुकी है और 500 से अधिक लोगों के घायल होने की सूचना है। हमलों के बाद इज़रायली सेना ने जवाबी कार्रवाई की है और इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जनता से यह कहा ही कि, हम युद्ध में हैं। इजरायल और फलस्तीन के बीच यह कोई नया विवाद नहीं है, इससे पहले भी कई बार टकराव हो चुके हैं। साल 2021 में भी दोनों देशों के बीच युद्ध हो चुके हैं जहां दोनों देशों ने एक-दूसरे पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी। आइए जानते हैं दशकों पुरानी इज़रायल और फिलिस्तीन के जंग की वजह…
क्या और क्यों है विवाद?
इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच के विवादों की शुरुआत ओटोमन साम्राज्य के खत्म होने के साथ होती है। 19वीं शताब्दी में यहूदियों की यह भूमि फिलिस्तीन नाम से जानी जाती थी। उस समय यहूदी पूरे यूरोप में फैले हुए थे। पहले विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ने ओटोमन पर जीत हासिल कर ली थी। 1917 में ब्रिटेन ने फिलिस्तीन को यहूदियों की मातृभूमि बनाने की घोषणा की। जिसे बेलफोर डिक्लेरेशन कहा जाता है। बेलफोर डिक्लेरेशन ने ही इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद को जन्म दिया।
इटली और जर्मनी जैसे देश राष्ट्रवाद के नाम पर एक हो रहे थे। इसी दौर में जियोनिष्ट आंदोलन की शुरुआत हुई। इसी बीच आए बाल्फोर डिक्लेरेशन ने यहूदियों का फिलिस्तीन में आकर बसना तेज हुआ। 1945 तक यह हिस्सा अंग्रेजों के कब्ज़े में था और पूरे यूरोप से यहूदी यहां आकर बसते रहे। इस दौरान फिलिस्तीनियों और यहूदियों के बीच कई संघर्ष होते रहे। ब्रिटेन के ऊपर यहूदियों के पुनर्वास का दबाव बढ़ने लगा और दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने ये मामला संयुक्त राष्ट्र को सौंप दिया।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने करीब 42 लाख यहूदियों को गैस चैंबर में डालकर मार दिया। यूरोप में रह रहे यहूदियों को यह लगने लगा कि फिलिस्तीन के अलावा उनके लिए दूसरी कोई सुरक्षित जगह नहीं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया। वहीं दूसरी तरफ यहूदी और अरब के लोगों के बीच का मतभेद काफी ज्यादा बढ़ गया था, जिसे ब्रिटेन इस मसले को हल करने में सक्षम नहीं था। इसलिए उसने यह मसला संयुक्त राष्ट्र संघ में भेज दिया।
इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र संघ में वोटिंग हुई और नतीजा निकला कि जहां यहूदियों की संख्या ज्यादा है ,उन्हें इज़रायल दिया जाए और जिन जगहों पर अरब बहुसंख्यक हैं, उन्हें फिलिस्तीन दिया जाए। तीसर था यरूशलम, इसे लेकर काफी मतभेद रहे। यहां आधी आबादी यहूदी थी और आधी मुस्लिम। जिस पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा कि इस क्षेत्र पर अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण लागू होगा।
क्या था बेलफोर डिक्लेरेशन?
1917 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जब ओटोमन हारने की कगार पर था। उस समय ब्रिटेन के विदेश मंत्री सर आर्थर बेलफोर ने एक डिक्लेरेशन जारी किया। इस डिक्लेरेशन में यह इंगित किया गया कि ब्रिटेन, यहूदियों को उनकी पवित्र भूमि फिलिस्तीन देगा और वहां उनका पुनर्वास करवाएगा। वहीं दूसरी ओर ब्रिटन ने चुपके से फ्रांस और रूस के साथ साइक्स-पिकॉट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया। इसके अंतर्गत उसने पूरे मध्य पूर्व को अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया और तय किया कि प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद कौन सा देश किस के हिस्से में जाएगा। इसमें उसने फिलिस्तीन को अपने हिस्से में रखा। सीरिया और जॉर्डन फ्रांस को दिया गया। वहीं तुर्की का कुछ हिस्सा रूस के पास गया। एक तरफ ब्रिटेन ने सामूहिक तौर पर यह कहा कि फिलिस्तीन हम यहूदियों को देंगे। वहीं दूसरी ओर उसने गुपचुप तरीके से साइक्स-पीको एग्रीमेंट के तहत यह हिस्सा अपने पास रख लिया।
हमास, इजरायल को नहीं मानता देश
इज़रायल के प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि हम युद्ध में हैं और हमास को इसके लिए अंजाम भुगतना होगा, लेकिन हमास को बात का फर्क नहीं पड़ रहा और वह लगातार हमले कर रहा है। दरअसल, हमास इजरायल को देश के तौर पर देखता और उसपर हमले करता रहता है, जबकि इज़रायल और अमेरिका हमास को एक चरमपंथी संगठन मानते हैं। साथ ही हमास को खत्म करने की कोशिश करते हैं। इज़रायल – फिलिस्तीन विवाद दुनिया के सबसे जटिल और संवेदनशील मुद्दों में से एक है। इस विवाद की वजह से दोनों पक्षों को हिंसा, विस्थापन और पीड़ा का सामना करना पड़ा। इज़रायली और फिलिस्तीनियों के इस भूमि से गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं और दोनों की अपनी शिकायतें भी हैं।
गाजा पट्टी को बनाया निशाना
इज़रायली सेना ने गाजा पट्टी के कई ठिकानों को निशाना बनाकर हमला किया। हमास द्वारा इज़रायल के खिलाफ एक नए सैन्य अभियान के एलान के बाद यरूशलम में हवाई हमले के लिए सतर्क करने वाले सायरनों की आवाज सुनाई दे रही है। इज़रायल ने रॉकेट रोधी प्रणाली को एक्टिवेट कर दिया है। इससे पहले हमास ने दावा किया कि उसने इज़रायल में 5,000 से अधिक रॉकेट दागे हैं।
2022 में भी आ चुके हे आमने – सामने
इससे पहले अगस्त 2022 में दोनों देशों के बीच तीन दिन तक संघर्ष चला था। तीन दिन चले संघर्ष में कम से कम 44 लोगों की जान गई थी। मिस्र की मध्यस्थता के बाद दोनों पक्षों ने संघर्ष को विराम देने को राजी हुए थे। उस वक्त इज़रायली सेना के गाजा पट्टी में स्थित एक फिलिस्तीनी कब्ज़े वाले इलाके में हमले के बाद संघर्ष शुरू हुआ था। उस वक्त इज़रायल ने कहा था कि यह हमला आतंकवादी संगठनों की धमकियों के जवाब में किया गया था। इज़रायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीआईजे) के एक वरिष्ठ सदस्य को गिरफ्तार करने के बाद कई दिनों तक तनाव का माहौल बना हुआ था। फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक इस संघर्ष में मारे गए 44 लोगों में 15 बच्चे थे। तो वहीं, 300 से ज्यादा फिलिस्तीनी लोगों के घायल होने का दावा भी स्थानीय सरकार ने ही किया था। अगस्त 2022 से पहले दोनों पक्षों में मई 2021 में भी 11 दिनों तक संघर्ष चला था। इस संघर्ष में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।