Haryana Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनाई गैर-जाट रणनीति, लगाई हैट्रिक

Haryana election result 2024
Share This

हरियाणा के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया कि वह ‘सोशल इंजीनियरिंग‘ की मास्टर है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को मिली चुनौतियों से सबक लेते हुए, पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। मनोहर लाल खट्टर को बदलने के बावजूद भी भाजपा से कांग्रेस ने पांच सीटें छीन ली थीं, जिससे पार्टी को अपनी रणनीति को नए सिरे से तैयार करना पड़ा।

मोहनलाल बड़ौली की नियुक्ति से बदला खेल

भाजपा ने अपनी नई रणनीति के तहत ब्राह्मण समुदाय से आने वाले मोहनलाल बड़ौली को प्रदेशाध्यक्ष बनाया। इस कदम ने पार्टी की गैर-जाट फार्मूले पर आधारित ‘सोशल इंजीनियरिंग’ को मजबूत किया। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, लोकसभा चुनावों में भाजपा समझ चुकी थी कि उसे जाट समुदाय का समर्थन नहीं मिलेगा, इसलिए उसने गैर-जाट समुदाय पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया।

’75-25′ फार्मूले पर चली भाजपा

भाजपा ने हरियाणा की 75 प्रतिशत गैर-जाट आबादी को ध्यान में रखकर ’75-25′ का फार्मूला अपनाया। इसके तहत भाजपा ने गैर-जाट और अन्य पिछड़े वर्गों को लक्षित किया, जबकि कांग्रेस जाट समुदाय और 18 प्रतिशत दलित वोटों पर ही निर्भर रही। इस रणनीति ने कांग्रेस को भारी नुकसान तो पहुंचाया ही साथ ही साथ भाजपा को फिर से सत्ता में आने का रास्ता दिखा दिया।

एंटी-इनकम्बेंसी से निपटने का मास्टर प्लान

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा को ‘एंटी-इनकम्बेंसी’ का सामना करना पड़ा था, जिसके परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पद से हटाया गया और नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। इस बदलाव के बावजूद कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में भाजपा की कमजोरी का फायदा उठाते हुए 10 में से 5 सीटें जीत लीं। हालांकि, विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करते हुए गैर-जाट मतदाताओं को साधा, जिससे उसे विधानसभा में हैट्रिक लगाने का मौका मिला।

कांग्रेस की जाट केंद्रित राजनीति ने डुबाई नैया

कांग्रेस की रणनीति जाट समुदाय पर अधिक केंद्रित रही, जो कि कुल आबादी का केवल 25 प्रतिशत है। इसके अलावा, दलित समुदाय को बिना किसी विशेष प्रयास के अपना मानकर चलना कांग्रेस की बड़ी भूल साबित हुई। दूसरी ओर, भाजपा ने गैर-जाट मतदाताओं को विशेष रूप से लक्ष्य बनाया और अपने वोट बैंक को मजबूत किया।

खट्टर, नायब सैनी और बड़ौली: भाजपा का त्रिकोणीय दांव

भाजपा ने सत्ता में वापसी के लिए अपने पुराने ‘सोशल इंजीनियरिंग’ फार्मूले को पुनर्जीवित किया। मनोहर लाल खट्टर को केंद्रीय मंत्री बनाकर पंजाबी समुदाय को साधा गया, वहीं नायब सिंह सैनी की नियुक्ति से पिछड़े और दलित वर्गों को अपनी ओर किया गया। वहीं, मोहनलाल बड़ौली को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर यह स्पष्ट कर दिया गया कि भाजपा का मुख्य ध्यान गैर-जाट वोटरों पर रहेगा।

2014 से पहले की रणनीति पर लौट रही है भाजपा

2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपने दम पर सरकार बनाई थी, और तब से अब तक पार्टी की रणनीति में कई बदलाव हुए हैं। पार्टी ने पहले जाट नेताओं को भी प्रदेशाध्यक्ष बनाया था, लेकिन अब 2024 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने फिर से गैर-जाट मतदाताओं पर फोकस किया है।

‘सोशल इंजीनियरिंग’ से भाजपा ने लगाई हैट्रिक

हरियाणा की सियासत जाट और गैर-जाट वोटरों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। कांग्रेस ने जहां जाट वोटरों को प्राथमिकता दी, वहीं भाजपा ने गैर-जाट वोटरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी रणनीति बनाई और विधानसभा में अपनी तिकड़ी पूरी की। भाजपा की यह सोशल इंजीनियरिंग भविष्य की राजनीति में उसकी मजबूती को और बढ़ाएगी।