सोमवार को आरबीआई की मासिक रिपोर्ट में कहा गया कि महंगाई दर अब आसमान छू रही है और सितंबर के बाद जो आंकड़े आएंगे उसमें महंगाई कम होती नजर आ सकती है। अभी कुछ दिन पहले ही मौद्रिक नीति की समीक्षा रिपोर्ट में आरबीआई ने महंगाई को बड़ा खतरा बताते हुए चल रहे वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 7.2 से 7 प्रतिशत कर दिया था। बदली गई विकास दर को लेकर आरबीआई ने कई वजहें बताई हैं। एक वजह यह है कि वर्ष (2022-23) की दूसरी छमाही में खाने-पीने की कीमतें नरम होंगी, जिसके संकेत भी मिल रहे हैं।
सितंबर में थोक महंगाई के जो आंकड़े आए हैं उससे यही संकेत मिल रहे हैं कि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपड़ों की कीमतों में नरमी आई है और सप्लाई चेन की स्थिति में सुधार हो रहा है। हालांकि, लगातार तीन तिमाहियों तक महंगाई दर निर्धारित स्तर से ज्यादे रहने के बाद निर्धारण की प्रक्रिया जारी की जाएगी। फिलहाल मौद्रिक नीति के तहत महंगाई को निर्धारित लक्ष्य में लाने का काम जारी है।
महंगाई दर नीचे लाने की प्रक्रिया जारी
आरबीआई की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बढ़ती महंगाई दर को नीचे लाने की प्रक्रिया काफी कठिन होगी। और, ऐसा होने पर भारत बढ़ती इकोनमी के तौर पर सबसे मजबूती से स्थापित होगा। इससे विदेशी निवेशकों का प्रोतसाहन बढ़ेगा। रिपोर्ट में आईएमएफ की एमडी क्रिस्टलीना जार्जीवा के उस बयान का भी जिक्र किया गया है, जिसमें उन्होंने भारत को अंधेरे से भरे होना का एक प्रकाशमय बिंदु बताया है।
फिर बदल जाऐंगी ब्याज दरें
आरबीआई के आये रिर्पोट के अनुसार महंगाई दर को जल्द ही कंट्रोल कर लिया जाएगा और जैसे ही महंगाई दर में कमी आएगी वैसे ही ब्याज दरों में भी बदलाव किया जाएगा। बैंक से लिया जाने वाला लोन चाहे वह होम लोन हो, कार लोन हो या पर्सनल लोन हो सभी लोनों पर ब्याज का दर कम हो जाएगा। फिलहाल बढ़ती महंगाई के कारण बैंकों को लोन पर ब्याज दर बढ़ाना पड़ा रहा है।
छह तिमाहियों बाद दिखेगा असर
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य जयंत वर्मा का कहना है कि मुद्रास्फीति के खिलाफ उठाए गए कदमों का असर पांच से छह तिमाही बाद दिखाने लगेगा। बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंक ने 30 सितंबर को एक बार फिर रेपो रेट में 50 आधार अंकों की बढ़ोत्तरी की है। मई के बाद से अब तक रेपो रेट में 190 आधार अंकों की बढोत्तरी की जा चुकी है। फिलहाल रेपो रेट की दर 5.90% हो गई है। केंद्रीय बैंकों के लिए मुद्रास्फीति की दर को दो प्रतिशत ऊपर और चार प्रतिशत नीचे रखना अनिवार्य है।