अयोध्या, उत्तर प्रदेश: मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने दमदार प्रदर्शन किया, जिससे राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिला। शुरुआती रुझानों से ही भाजपा उम्मीदवार को स्पष्ट बढ़त मिलती रही, जो अंत तक बरकरार रही। चंद्रभानु पासवान ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अजीत प्रसाद को 61,670 वोटों के बड़े अंतर से हराया। जीत के साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के समर्थकों को इस परिणाम से गहरा झटका लगा, क्योंकि वे पूरे चुनाव में टक्कर देने में असफल रहे।
चुनाव परिणाम सामने आने के साथ ही राजकीय इंटर कॉलेज में हुई मतगणना के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। कुल 30 राउंड की गिनती पूरी होने के बाद अंतिम आंकड़े जारी किए गए। इस सीट पर भाजपा की जीत को पार्टी की नीतियों और रणनीतियों की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है, जबकि सपा के लिए यह हार आगे की राजनीति के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
मतगणना केंद्र पर कड़ी सुरक्षा में हुई गणना
राजकीय इंटर कॉलेज में मतगणना प्रक्रिया सुबह 8 बजे तय समय पर प्रारंभ हुई, जहां प्रशासन द्वारा सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए थे। चुनाव कर्मियों की कड़ी निगरानी में गणना की प्रत्येक चरण को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न किया गया।
प्रारंभिक गणना के साथ ही रुझान स्पष्ट होने लगे, जिसमें चंद्रभानु पासवान को शुरुआती बढ़त प्राप्त हुई। मतों की गिनती आगे बढ़ने के साथ यह अंतर और अधिक मजबूत होता चला गया, जिससे उनके समर्थकों में उल्लास और उत्साह देखने को मिला।
चंद्रभानु पासवान को मिले 1.46 लाख वोट
- चंद्रभानु पासवान (भाजपा) – 1,46,397 वोट
- अजीत प्रसाद (सपा) – 84,687 वोट
- संतोष कुमार (आजाद समाज पार्टी) – 5,459 वोट
- राम नरेश चौधरी (मौलिक अधिकार पार्टी) – 1,721 वोट
- नोटा (NOTA) – 1,361 वोट
30 राउंड की मतगणना के बाद चंद्रभानु पासवान घोषित हुए विजेता
गणना प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्वाचन अधिकारी एवं एसडीएम मिल्कीपुर राजीव रतन सिंह ने आधिकारिक रूप से भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान की जीत की घोषणा की। चुनावी प्रक्रिया के सभी चरणों को ध्यानपूर्वक जांचने और मतों की गिनती पूरी करने के बाद यह निर्णय लिया गया। पूरे माहौल में भाजपा समर्थकों का उत्साह देखने लायक था, जबकि प्रशासनिक अधिकारी पूरी पारदर्शिता के साथ अंतिम नतीजे जारी कर रहे थे।
घोषणा होते ही गणना स्थल पर भाजपा कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखने को मिला। चंद्रभानु पासवान को औपचारिक रूप से विजयी प्रमाण पत्र सौंपा गया। पूरे परिसर में ढोल-नगाड़ों की गूंज सुनाई देने लगी और कार्यकर्ता एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर बधाई देने लगे। दूसरी ओर, सपा खेमे में निराशा का माहौल स्पष्ट रूप से देखा गया।
उत्सव का माहौल, भाजपा खेमे में जश्न और सपा समर्थकों में मायूसी
चंद्रभानु पासवान की बढ़त की खबर मिलते ही उनके समर्थकों में उत्साह देखा गया। परसौली गांव में सुबह से ही लोग बधाइयां देने पहुंचने लगे। जैसे-जैसे वोटों की गिनती आगे बढ़ी, वैसे-वैसे जीत का अंतर बढ़ता गया और भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच पटाखे फोड़े गए और मिठाइयां बांटी गईं। पूरे क्षेत्र में जश्न का माहौल बन गया, जहां समर्थकों ने एक-दूसरे को गले लगाकर बधाई दी।
दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के कार्यालय और अजीत प्रसाद के घर पर सन्नाटा छा गया। शुरुआती रुझानों के बाद ही कार्यकर्ताओं के चेहरे उतरने लगे और दोपहर तक वहां मौजूद समर्थक धीरे-धीरे वापस लौटने लगे। पूरे दिन वहां मायूसी का माहौल बना रहा, जहां न कोई उत्साह था और न ही कोई चर्चा। आवास पर सन्नाटा पसरा रहा, और हार के संकेत मिलते ही पार्टी कार्यालय भी सूना हो गया।
चुनाव में कुल 2.41 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने डाला वोट
इस उपचुनाव में मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे लोकतंत्र की मजबूती स्पष्ट हुई। कुल 2,41,956 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसमें कई उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। मतदान प्रक्रिया पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ संपन्न हुई, जिसमें जनता ने अपनी पसंद के प्रत्याशी को चुनने का अधिकार निभाया।
हालांकि, कुछ मत अमान्य पाए गए, जिससे कुल 43 वोट अवैध घोषित किए गए। वहीं, 1,361 मतदाताओं ने किसी भी उम्मीदवार को अपना समर्थन न देते हुए NOTA का विकल्प चुना। इससे यह संकेत मिला कि कुछ मतदाता उपलब्ध उम्मीदवारों से संतुष्ट नहीं थे और अपनी असहमति व्यक्त करने के लिए इस विकल्प का उपयोग किया।
10 उम्मीदवारों ने आजमाया था भाग्य
उपचुनाव में कुल दस प्रत्याशी मैदान में उतरे, लेकिन अधिकांश को मतदाताओं का पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया। केवल कुछ ही उम्मीदवार ऐसे थे, जिन्होंने चार अंकों का आंकड़ा पार किया। निर्दलीय प्रत्याशियों समेत अन्य दलों के उम्मीदवार चुनावी संघर्ष में रहे, लेकिन वे प्रमुख दलों के मुकाबले कमजोर साबित हुए।
राजनीतिक दलों के बीच सीधी टक्कर मुख्य रूप से भाजपा और सपा के बीच रही, जबकि अन्य प्रत्याशी मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल नहीं हो सके। दिलचस्प बात यह रही कि बहुजन समाज पार्टी ने इस चुनाव में भाग नहीं लिया, जिससे मुकाबला और अधिक दिलचस्प हो गया।
उपचुनाव में किसे कितने वोट मिले?
प्रत्याशी | पार्टी | प्राप्त वोट |
---|---|---|
चंद्रभानु पासवान | भाजपा | 1,46,291 |
अजीत प्रसाद | सपा | 84,655 |
संतोष कुमार | आजाद समाज पार्टी | 5,457 |
राम नरेश चौधरी | मौलिक अधिकार पार्टी | 1,721 |
नोटा | – | 1,360 |
संजय पासी | निर्दलीय | 1,107 |
भोलानाथ | निर्दलीय | 1,003 |
वेद प्रकाश | निर्दलीय | 507 |
अरविंद कुमार | निर्दलीय | 425 |
सुनीता | राष्ट्रीय जनवादी पार्टी | 363 |
कंचनलता | निर्दलीय | 286 |
भाजपा के लिए बड़ी जीत, सपा के लिए झटका
इस उपचुनाव में चंद्रभानु पासवान की भारी जीत ने भाजपा की स्थिति को और मजबूत कर दिया है। पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखा गया, जबकि यह नतीजा समाजवादी पार्टी के लिए एक गंभीर झटका साबित हुआ। भाजपा की इस जीत को क्षेत्र में पार्टी की रणनीतिक पकड़ और जन समर्थन का संकेत माना जा रहा है, जिससे आने वाले चुनावों में पार्टी को और बढ़त मिलने की संभावना है।
दूसरी ओर, अजीत प्रसाद की हार से सपा खेमे में निराशा फैल गई है। शुरू से ही पिछड़ते रुझानों ने कार्यकर्ताओं के मनोबल को गिरा दिया, और परिणाम घोषित होते ही उनके समर्थकों में मायूसी छा गई। समाजवादी पार्टी को इस हार से सबक लेकर अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत होगी, ताकि भविष्य में बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।