गाजीपुर, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मनिहारी ब्लॉक के मोहब्बतपुर गांव में सरकारी जमीन के फर्जी पट्टे का मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि गांव के दो परिवारों को करीब चार बीघा सरकारी भूमि का पट्टा बिना किसी वैध प्रक्रिया के दे दिया गया। रिटायर्ड कांस्टेबल हीरालाल ने इस घोटाले का पर्दाफाश करते हुए जिलाधिकारी कार्यालय में शपथ पत्र के साथ शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि इस मामले की जांच कराई जाए तो बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर होगा।
क्या है पूरा मामला?
मोहब्बतपुर गांव के निवासी हीरालाल ने बताया कि गांव की बंजर जमीन, जिसे जरूरतमंद भूमिहीन ग्रामीणों को पट्टा के रूप में दिया जाना चाहिए, उसे गलत तरीके से निजी स्वार्थ के लिए दो परिवारों को दे दिया गया। हीरालाल का कहना है कि गांव के भू माफिया सुगन राम और संभू राम ने 2015 में इस सरकारी जमीन पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर पट्टा करवा लिया। यह जमीन मनिहारी थाना क्षेत्र में बंजर भूमि के रूप में दर्ज थी, जिसका कुल रकबा 14 बीघा है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस भूमि को गलत तरीके से एक ही परिवार को सौंपा गया है, जबकि इसकी प्रक्रिया के तहत ग्राम प्रधान को प्रस्ताव पास करना होता है। इसके बाद जिलास्तरीय अधिकारियों की मंजूरी आवश्यक होती है।
जिलाधिकारी से की गई जांच की मांग
हीरालाल ने जिलाधिकारी से मांग की है कि इस मामले की गहन जांच कराई जाए। उनका कहना है कि जांच के दौरान यह स्पष्ट होगा कि सरकारी नियमों को ताक पर रखकर भू माफियाओं ने जमीन का पट्टा अपने नाम करवा लिया। उन्होंने जिलाधिकारी से यह भी अनुरोध किया है कि पट्टे को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर गांव में कैंप लगाकर पात्र ग्रामीणों को भूमि आवंटित की जाए।
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमने जिलाधिकारी कार्यालय में शपथ पत्र के साथ शिकायत दी है। हमारी मांग है कि किसी जिम्मेदार अधिकारी से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।”
हीरालाल का आरोप है कि भू माफिया ने ग्राम प्रधान की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार करवाकर सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि यह जमीन उन गरीब और भूमिहीन परिवारों को दी जानी चाहिए, जो इसके असली हकदार हैं।
भू माफिया का खेल: कैसे किया फर्जीवाड़ा?
ग्रामीणों का कहना है कि भू माफिया ने सरकारी जमीन का फर्जी दस्तावेज बनाकर ग्राम प्रधान से पट्टा करवा लिया। यह जमीन गांव के गरीब परिवारों को दी जानी चाहिए थी, लेकिन इसे एक ही परिवार के नाम कर दिया गया। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि ग्राम सभा की जमीन का उपयोग गांव के विकास कार्यों के लिए होना चाहिए, न कि किसी के निजी स्वार्थ के लिए।
हीरालाल ने यह भी आरोप लगाया कि भू माफिया के इस खेल में कई स्थानीय अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने मांग की है कि इस घोटाले में संलिप्त सभी लोगों की जिम्मेदारी तय की जाए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
जनता दर्शन में मिले जांच के आश्वासन
हीरालाल ने जनता दर्शन के दौरान जिलाधिकारी को यह मामला विस्तार से बताया। जिलाधिकारी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि इस मामले की पूरी जांच कराई जाएगी। ग्रामीणों का कहना है कि वे अब भी जांच के भरोसे हैं और उम्मीद करते हैं कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
ग्रामीणों की यह भी मांग है कि भविष्य में किसी भी प्रकार के जमीन घोटाले को रोकने के लिए सरकार द्वारा कड़े नियम लागू किए जाएं। इसके साथ ही ग्राम सभा की सभी जमीनों का डिजिटलीकरण कर सही तरीके से रिकॉर्ड रखा जाए ताकि फर्जीवाड़े की गुंजाइश न रहे।
ग्रामीणों की मांग: निष्पक्ष जांच और पट्टे की पुनः समीक्षा
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि गांव में एक कैंप लगाकर सभी जरूरतमंदों को उनकी पात्रता के आधार पर भूमि आवंटित की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचना चाहिए।
हीरालाल ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि गरीब और भूमिहीन लोगों को उनका हक मिले। फर्जी दस्तावेज बनाकर जमीन हड़पने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।”
मोहब्बतपुर गांव का यह मामला एक गंभीर मुद्दा है, जो सरकारी भूमि के दुरुपयोग और भू माफियाओं की साजिश को उजागर करता है। यह जरूरी है कि प्रशासन इस मामले की निष्पक्ष जांच कर फर्जीवाड़े को रोकने के लिए कदम उठाए। इससे जरूरतमंद ग्रामीणों को उनका हक मिल सकेगा और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सकेगी।